भोपाल। मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में आदिम जाति कल्याण विभाग अपने आप में एक समस्या है। स्कूल शिक्षा विभाग के आदेशों को कॉपी पेस्ट करने में जानबूझकर समय लगाया जाता है। अतिथि शिक्षक के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने 4 दिसंबर तक अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित कर दी और आदिम जाति कल्याण विभाग में 14 दिसंबर तक आदेश जारी नहीं हुए।
कमिश्नर के अहंकार के कारण अटका हुआ है नियुक्ति का आदेश
स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश और समाचार सुनकर कई अतिथि शिक्षक आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में नियुक्ति हेतु चक्कर लगा रहे हैं। स्कूलों के प्राचार्य कोई जवाब नहीं दे पा रहे। उनके पास जब तक कमिश्नर का लिखित आदेश नहीं आ जाएगा वह कुछ नहीं कर सकते। कमिश्नर आदिम जाति को पता है कि उन्हें यह आदेश जारी करना ही पड़ेगा, परंतु फिर भी देरी की जा रही है।
अतिथि शिक्षकों के संबंध में विधानसभा में प्रश्न लगाया
धार जिले के सरदारपुर के विधायक प्रताप ग्रेवाल ने विधानसभा में प्रश्न लगाया है। इसमें पूछा गया है कि सरकार अतिथि शिक्षकों को नियमित करना चाहती है या नहीं, कारण सहित शासन की मंशा से अवगत कराया जाए। हमेशा मार्च-अप्रैल के बाद उन्हें सेवा से मुक्त क्यों किया जाता है। लॉकडाउन में जुलाई से लेकर अब तक अतिथि शिक्षकों को कार्य पर नहीं रखा गया है। ऐसे में भारत शासन के निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया कि लॉकडाउन में अस्थाई को कार्य से न हटाया जाए। 1 जनवरी 2007 तथा 1 जनवरी 2020 को विभाग में कार्यरत अतिथि शिक्षकों की कुल संख्या बताई जाए और उन्हें कितना कुल मानदेय भुगतान किया गया है, वह भी बताया जाए।