भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज मंत्रि-परिषद की वर्चुअल बैठक हुई। मंत्रि-परिषद ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (हर खेत को पानी) अंतर्गत भू-जल से सिंचाई योजना के लिये 1706 करोड़ एक लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी है। इसमें राज्यांश 682 करोड़ 40 लाख 40 हजार रूपये रहेगा। इस योजना में मध्यप्रदेश के पाँच जिले मण्डला, डिण्डौरी, शहडोल, उमरिया और सिंगरौली का चयन कर भू-जल स्त्रोंतों से बोरवेल निर्मित कर 62135 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
जेल विभाग के लिये 30 मेल नर्स
मंत्रि-परिषद ने जेल विभाग के फार्मासिस्ट ग्रेड-2 के 34 रिक्त पदों को समर्पित कर मेल नर्स के 30 पद सृजित करने की स्वीकृति दी। इससे जेलों में चिकित्सा सुविधा में वृद्धि होगी। बंदियों को त्वरित एवं प्रभावी उपचार उपलब्ध करवाया जा सकेगा।
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन एवं संरचना संबंधी निर्णय
मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन एवं संरचना के संबंध में निर्णय लिया। इसमें पिछड़े वर्गो से संबंधित मामलों का ज्ञान रखने तथा उनके कार्य के लिये जाने जाते होंगे, ऐसे पाँच अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति की जायेगी। इसमें से एक सदस्य आयोग के अध्यक्ष के रूप में एवं अन्य सदस्य उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाएंगे। अध्यक्ष और कम से कम दो अन्य सदस्य पिछड़े वर्ग से संबंधित होंगे। साथ ही एक महिला सदस्य को भी नियुक्त किया जायेगा।
म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन
मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इसमें अनुसूची 5 के 31 गौण खनिजों के उत्खन्न पट्टा आवेदन/ई निविदा से आवंटन करने के प्रावधान किये गये हैं। संशोधन अनुसार निजी भूमि पर भूमि-स्वामी/ सहमति धारक को रायल्टी के अलावा 15 प्रतिशत अतिरिक्त राशि भुगतान की शर्त पर 30 वर्ष की अवधि के लिये आवेदन के आधार पर उत्खन्न पट्टा स्वीकृत करने के प्रावधान किये गये हैं। संचालक उत्खन्न पट्टा विभागीय मंत्री के पूर्व अनुमोदन से स्वीकृत कर सकेंगे।
शासकीय व निजी भूमि पर 250 हेक्टेयर क्षेत्र पर ई-निविदा के माध्यम से 30 वर्ष की अवधि के लिये अनुसूची 5 के उत्खन्न पट्टा आवंटन करने के प्रावधान किये गये हैं। उच्चतम निविदाकार को देय रायल्टी के अलावा स्वीकृत ई-निविदा दर से वन टाइम बिट के आधार पर अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा। संचालक शासकीय भूमि पर तथा शासकीय एवं निजी भूमि के संयुक्त क्षेत्र पर राज्य सरकार से तथा निजी भूमि पर विभागीय मंत्री का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने के बाद स्वीकृत कर सकेंगे।
निजी भूमि अथवा ई-निविदा से अनुसूची 5 के स्वीकृत उत्खन्न पट्टों में 25 करोड़ रूपये तथा उससे अधिक निवेश कर उद्योग स्थापित करने पर उत्खन्न पट्टे का 10-10 वर्ष के लिये दो बार नवीनीकरण किया जा सकेगा। अनुसूची 1 और 2 के खनिजों के 4 हेक्टेयर तक के क्षेत्र के उत्खन्न पट्टे कलेक्टर द्वारा जिला स्तर पर स्वीकृत किये जा सकेंगे। इसमें 4 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र स्वीकृत करने के अधिकार संचालक को दिये जा रहे हैं। अनुसूची एक के खनिजों के मामलों में स्वीकृति से पहले संचालक द्वारा विभागीय मंत्री से पूर्व अनुमोदन प्राप्त किया जायेगा।
अनुसूची एक मे पत्थर से निर्मित रेत (यांत्रिक क्रिया द्वारा) को शामिल किया जा रहा है। इससे अब पत्थर से रेत बनाने के उत्खन्न पट्टे भी स्वीकृत हो सकेंगे।गौण खनिज रेत बजरी की रायल्टी दर 125 रूपये प्रति घन मीटर निर्धारित की गई। यह भी प्रावधान किया गया है कि बाहर के राज्यों से परिवहित होकर आने वाले गौण खनिज पर 25 रूपये प्रति घन मीटर की दर से विनियमन शुल्क लिया जायेगा।
फर्शी पत्थर की वार्षिक डेडरेंट की राशि दो लाख रूपये प्रति हेक्टेयर के स्थान पर रूपए 1.50 लाख प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है। पट्टाधारी को स्वीकृत खदानों में से 75 प्रतिशत रोजगार मध्यप्रदेश के मूल निवासियों को अनिवार्य रूप से प्रदान करना होगा। सरकारी तालाब, बांध आदि से गाद के साथ निकाली गई रेत का निर्वर्तन मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 एवं राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के तहत किया जायेगा।
नियमों अनुसूची 5 (31 गौण खनिज) की रायल्टी व डेडरेंट की दरें पुनरीक्षित की गई हैं। विभिन्न आवेदन शुल्क, न्यायालयीन स्टाम्प शुल्क, प्रतिभू निक्षेप, सुरक्षा राशि, रेखांक शुल्क में भी वृद्धि की गई है। अनुसूची 5 के खनिजों के लिये उत्खन्न पट्टा के लिये नये आवेदन शुल्क एवं सुरक्षा राशि भी निर्धारित की गई हैं। नियम में उपरोक्त अनुसार संशोधन करने से न केवल प्रदेश के खनिज राजस्व में भारी वृद्धि संभावित हैं बल्कि गौण खनिज के खदानों में प्रदेश के मूल निवासियों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलना संभावित है। इसी के साथ प्रदेश में खनिज आधारित निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
भू-अर्जन की पुनर्व्यवस्थापन योजना तैयार
मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया है कि भू-अर्जन के परिणामस्वरूप विस्थापन के मामलें में विस्थापित कुटुम्बों के पुनर्वासन के लिये यदि ग्रामों में आंकलित आकार की शासकीय भूमि उपलब्ध है तो ऐसी शासकीय भूमि के लिये सिंचित कृषि भूमि के बाजार मूल्य के 1.6 गुणा के बराबर की राशि अपेक्षक निकाय से लेकर, उक्त भूमि पर भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 के अनुसरण में पुनर्व्यवस्थापन योजना तैयार की जायेगी। जहां अपेक्षक निकाय राज्य सरकार के विभाग या उपक्रम हैं वहां ग्रामों में स्थित शासकीय भूमि बिना कोई राशि लिये उपलब्ध कराई जायेगी।
भू-अर्जन के परिणामस्वरूप विस्थापन के मामलें में विस्थापित कुटुम्बों के पुनर्वासन के लिये यदि शासकीय भूमि उपलब्ध नहीं है तो ग्रामों में स्थित निजी भूमियां उक्त अधिनियम प्रावधानों के अंतर्गत मध्यप्रदेश के पक्ष में अर्जित व पुनर्वास योजना के क्रियान्वयन के लिये प्राप्त की जायेंगी। इसमें भू-अर्जन की अवार्ड की राशि का भुगतान संबंधित अपेक्षक निकाय से प्राप्त की जायेगी।
इस प्रकार तैयार योजना के क्रियान्वयन के लिये ऐसी चिन्हांकित भूमि पर उक्त अधिनियम की तीसरी अनुसूची अनुसार अवसंरचना के निर्माण के लिये (भूमि) अपेक्षक निकाय को योजना के क्रियान्वयन हेतु युक्तियुक्त समय के लिये आधिपत्य में दी जायेगी। ताकि अपेक्षक निकाय नियत अवधि में अवसंरचना निर्माण कर योजना के अनुसार भूखंड या मकान तथा अन्य सामुदायिक सुविधायें (उक्त अधिनियम की अनुसूची 3 में उल्लेखित समस्त मदों के लिये ) तैयार कर कलेक्टर को वापिस आधिपत्य सौंपे।
इस प्रकार योजना के अनुरूप विकसित क्षेत्र का आधिपत्य प्राप्त कर कलेक्टर ऐसे क्षेत्र को मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 के प्रावधानों के अनुसार आबादी घोषित करेगें और इस प्रकार विकसित आबादी क्षेत्र में कलेक्टर भूमि अर्जन,पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 के अनुसरण में विस्थापित कुटुम्ब को यथास्थिति मध्यप्रदेश भू-राजस्व सहिंता 1959 के प्रावधानों के अनुसार भूखंड या मकान आवंटित करेगा।
ऐसे मामलें जिनमें वन भूमि (जिन भूमियों पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 आकर्षित होता हैं) किसी निजी कम्पनी/भारत सरकार की कम्पनी/निजी संस्थाओं (अपेक्षक निकाय) को परियोजना के लिये आवंटित की जाती हैं, ऐसे मामलों में प्रतिपूर्ति वनीकरण (वैकल्पिक वनीकरण) के लिये भारत सरकार के समय-समय पर जारी किये गये दिशा निर्देशों के अनुक्रम में वन विभाग को प्रभावित भूमि के बराबर भूमि दिये जाने की अनिवार्यता है, ऐसे मामलों में वन विभाग का ऊपर वर्णित अपेक्षक निकाय के व्यय पर शासकीय भूमि प्रतिपूर्ति वनीकरण के लिये ऐसी भूमि के सिंचित कृषि भूमि के बाजार मूल्य के 1.6 गुणा बराबर की राशि लेकर उपलब्ध कराई जायेगी। उपरोक्त राशि के अतिरिक्त भारत सरकार के दिशा निर्देश एवं राज्य सरकार के वन विभाग के निर्देशों के अनुसरण में वनीकरण के लिये व्यय की जाने वाली राशि भी अपेक्षक निकाय को पृथक से देना होगी।
विधेयकों को विधानसभा में प्रस्तुत करने का अनुमोदन
मंत्रि-परिषद ने तीन विश्वविद्यालयों मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय भोपाल, पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल और डाँ.बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू के अधिनियम में प्रति कुलपति पद के प्रावधान के लिये संशोधन विधेयक 2020 को विधानसभा मे प्रस्तुत करने की मंजूरी दी।
मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक 2020, मध्यप्रदेश सिंचाई प्रंबधन में कृषकों की भागीदारी (संशोधन) विधेयक 2020, मध्यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) विधेयक 2020, मध्यप्रदेश हाई स्पीड डीजल उपकर (संशोधन) विधेयक 2020 और मध्यप्रदेश कराधान अधिनियमों की पुरानी बकाया राशि का समाधान विधेयक 2020 को अनुमोदित कर विधानसभा में पुर:स्थापित करवाने की सहमति दी।
मध्यप्रदेश राज्य में खाद्य और दवाओं का अपमिश्रण रोकने के उद्देश्य से वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए एवं तात्कालिक विधान की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए अपमिश्रणकर्ता के विरूद्व आजीवन कारावास की सजा का उपबंध करने के लिये दंण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2020 तैयार किया गया हैं। इसे भी मंत्रि-परिषद ने विधानसभा में प्रस्तुत करने के लिये अनुमोदन दिया। (राजेश दाहिमा/दुर्गेश रायकवार/अनुराग उईके)