भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों सहित भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद संगठन और सरकार में पदों के पीछे शुरू हुई दौड़ सिरदर्द बन चुकी है। संगठन मंत्री सुहास भगत ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के साथ मीटिंग के बाद फैसला लिया है कि पहले भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा और फिर शिवराज सिंह सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार होगा। पॉलिटिक्स का फिक्स फार्मूला यह है कि पहले मंत्रिमंडल विस्तार होता है और नाराज दावेदारों को संतुष्ट करने के लिए निगम, मंडल एवं संगठन में पद दिए जाते हैं।
सिंधिया के हारे हुए सिपाही निगम-मंडलों में चेयरमैन बनाए जाएंगे
जैसे की शुरुआत से उम्मीद की जा रही थी, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक नेता जो मंत्री पद पर रहते हुए भी उप चुनाव नहीं जीत पाए, निगम मंडलों में चेयरमैन बनाए जाएंगे। इस प्रकार उनका मंत्री पद का दर्जा बरकरार रहेगा। शेष बचे पदों पर भारतीय जनता पार्टी के मंत्री पद के दावेदार विधायक, आरएसएस की सिफारिश जाने वाले वरिष्ठ एवं युवा नेता, क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन के लिए नियुक्तियां की जाएंगी। कुल मिलाकर निगम मंडलों में चेयरमैन पद के लिए नियुक्ति का आधार योग्यता कतई नहीं होगा।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को समझाना है सिर्फ दो मंत्री पद मिल सकते हैं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को किसी तरह समझाया जाए कि शेष बचे मंत्री पदों में उन्हें सिर्फ 2 पद ही मिल सकते हैं। स्वाभाविक रूप से तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को रीइंस्टॉल किया जा सकता है।
मंत्रिमंडल में 4 पदों के लिए मारामारी
मध्य प्रदेश सरकार में कुल 35 मंत्री हो सकते हैं। वर्तमान में शिवराज कैबिनेट में 28 मंत्री हैं, यानी 7 पद खाली हैं। अमूमन राज्य सरकार में 1 मंत्री पद खाली ही रखा जाता है। इस तरह 6 और मंत्री शिवराज कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं। इन 6 मंत्रियों में सिंधिया खेमे से तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत का मंत्री बनना तय है। बाकी 4 पदों के लिए मारामारी मची हुई है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ एवं युवा दावेदार अपने अपने तरीके से जोर लगा रहे हैं। इस्तीफे तक की धमकियां दी जा रही है। इधर ज्योतिराज सिंधिया भी शेष बचे 4 में से 2 पद अपने समर्थकों को दिलाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।