भोपाल। मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 135 के तहत क्रैश इन्वेस्टिगेशन का प्रावधान तो पहले से है परंतु कलेक्टर/एसपी इसका पालन नहीं करते। इसी बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट नाराज है और उसने मध्यप्रदेश शासन को निर्देशित किया है कि बड़े एक्सीडेंट के मामलों में सुनिश्चित करें कि क्रैश इन्वेस्टिगेशन कलेक्टर-एसपी द्वारा हर हाल में की जाए।
क्रैश इन्वेस्टिगेशन में क्या करना होगा
इसके तहत मौके पर पहुंचकर कलेक्टर-एसपी या उनकी टीम को ये देखना होगा कि हादसा सड़क निर्माण की कमी के कारण तो नहीं हुआ। ऐसे हर हादसे की रिपोर्ट पीटीआरआई को भेजनी होगी। तीन दिन पहले एनएच-30 स्थित बहोरीबंद मोड़ (जबलपुर) में ट्रक-बोलेरो की भिड़त में 4 युवकों की जान चली गई थी। पीटीआरआई ने इसकी क्रैश इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट तलब की है।
क्रैश इन्वेस्टिगेशन के पांच प्रमुख बिंदु
सड़क हादसे के कारण का अध्ययन और विश्लेषण?
हाइवे पर यात्रियों की सुख-सुविधा के लिए बाथरूम, रेस्टरूम और ट्रॉमा सेंटर था या नहीं?
हाइवे पर यातायात चौकियां हैं या नहीं?
हाइवे पर ट्रक पार्क करने की सुविधा है या नहीं?
हादसा उक्त सड़क के निर्माण की किसी खामी के कारण तो नहीं हुआ?
धारा 135 के तीन बिंदु
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 135 में सड़क हादसों के मामलों में विवेचना करने और मार्गस्थ सुख-सुविधाओं के लिए स्कीम बनाने का प्रावधान है। उक्त स्कीम को राज्य विधान मंडल के सामने भी प्रस्तुत करना होगा।
लापरवाह अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ केस दर्ज होगा
इन्वेस्टिगेशन के दौरान सड़क निर्माण एजेंसी या अन्य किसी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी की लापरवाही की भी विवेचना की जाएगी। लापरवाही साबित हुई तो संबंधित अफसर के खिलाफ कार्रवाई होगी।
सुरक्षित सड़क मुहैया कराई जा सके
क्रैश इन्वेस्टिगेशन को लेकर रोड सेफ्टी कमेटी से जुड़ी एजेंसियों को और संवेदनशील होना पड़ेगा। ताकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का ठीक ढंग से पालन करवाया जा सके और जनता को आवागमन के लिए सुरक्षित सड़क मुहैया करवाई जा सके।
- डीसी सागर, एडीजी पीटीआरआई