भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री और छिंदवाड़ा के विधायक कमलनाथ दिल्ली में अपना कमाल दिखाने के बाद मध्यप्रदेश वापस लौट आए हैं। आते ही उन्होंने सबसे पहले केंद्र की राजनीति में वापस लौटने के मामले पर अपना स्टैंड क्लियर करते हुए कहा कि मैं मध्य प्रदेश से हिलूंगा तक नहीं। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष के मामले में उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विधायक जिसे चाहे नेता चुनने मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
राजनीति से सन्यास के मामले में क्या कहा
कांग्रेस पार्टी से एक के बाद एक लगातार जमीनी नेताओं के इस्तीफे के बाद छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने कहा था कि मैं आराम करने के लिए तैयार हूं, यदि छिंदवाड़ा की जनता कहेगी। भोपाल में कमलनाथ अपने इस बयान से पलट गए हैं। उनका कहना है कि मैंने ऐसा नहीं कहा था। मैंने कहा था- यह संघर्ष का समय है। सबको संघर्ष में लगे रहना है। यदि आप (कार्यकर्ता) आराम करेंगे, तो मैं भी आराम करुंगा।
अध्यक्ष पद के लिए मैंने आवेदन नहीं किया था, विधायक जिसे चाहे नेता प्रतिपक्ष बनाएं
यह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तय करेंगी। मेरी किसी भी पद की लालसा नहीं है। मैंने तो अध्यक्ष पद के लिए भी एप्लाई नहीं किया था। (मुस्कुराते हुए) मैं एप्लीकेंट (आवेदक) नहीं था। मुझे कहा गया था कि यह जिम्मेदारी उठानी होगी, जिसे मैंने स्वीकार किया। अब सवाल नेता प्रतिपक्ष का है, तो मैंने विधायकों से कहा है कि आप आपस में सहमति बनाकर तय कर लीजिए।
सरकार सदन नहीं चलाना चाहती तो हम क्या कर सकते हैं: कमलनाथ
कोरोनावायरस संक्रमण के नाम पर विधानसभा का शीतकालीन सत्र स्थगित कर दिए जाने पर कमलनाथ ने कहा कि सरकार लोगों का दुख-दर्द सुनना नहीं चाहती है। विपक्ष का कर्तव्य है कि वह जनता के मुद्दे उठाए। सरकार के पास न जवाब है और न ही हिसाब देने के लिए कोई तथ्य है। यह बात सच है कि कोराेना संक्रमण अभी कम नहीं हुआ है। सर्वदलीय बैठक में मुझसे पूछा था- आप जिम्मेदारी लेंगे? मैने कहा- हम कैसे जिम्मेदारी ले सकते हैं। हाउस (सदन) की जिम्मेदारी अध्यक्ष और सरकार की है। जब वे जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं, तो हम कैसे ले सकते हैं? इससे स्पष्ट होता है कि सरकार की मंशा सत्र चलाने की नहीं थी।
भाजपा ने मर्यादा तोड़ी तो हमने भी तोड़ दी: कमलनाथ
हमने नहीं, बल्कि BJP ने इस परंपरा को तोड़ा है। अध्यक्ष हमेशा सरकार का होता है। BJP ने तब अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार क्यों खड़ा किया था? पहले उन्होंने तोड़ा, मैंने नहीं। मैंने उनसे कहा था कि अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार क्यों खड़ा कर रहे हैं। अध्यक्ष का चुनाव कराकर उन्होंने पहले परंपरा को तोड़ा था। इसके बाद हमने उपाध्यक्ष का चुनाव कराने का फैसला लिया था।
उपचुनाव में हार की जांच अभी बाकी है: कमलनाथ
यह एक विचित्र उपचुनाव था। हम इसकी जांच कर रहे हैं। जिन जिलों में चुनाव हुए, वहां से रिपोर्ट बुलाई जा रही है। हम उनके (BJP) धनबल का मुकाबला नहीं कर पाए। उन्होंने लोगों को खरीदने और तोड़ने में पैसा लगाया। यह राजनीति में स्थायी नहीं है।