भोपाल। चुनावी सभाओं में और न्यूज़ चैनल वाले कैमरों के सामने नेता भले ही एक दूसरे पर कितने भी आरोप प्रत्यारोप लगाते हो परंतु सरकारी दस्तावेजों में उनकी मजबूत दोस्ती के प्रमाण मिलते हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ द्वारा छिंदवाड़ा के लिए बनाए गए मास्टर प्लान बिना किसी सवाल जवाब के मंजूर कर लिया। जबकि भारतीय जनता पार्टी के कई विधायकों के विकास प्रस्ताव लंबे समय तक पेंडिंग बने रहते हैं।
बताने की जरूरत नहीं कि कमलनाथ का पूरा फोकस छिंदवाड़ा पर रहता है। जब वह मुख्यमंत्री थे तब भी मध्य प्रदेश की शेष विधानसभाओं के विकास कार्यों में बजट एक समस्या था परंतु छिंदवाड़ा को जैसे विशेष विधानसभा क्षेत्र का दर्जा प्राप्त था। आज की तारीख में कमलनाथ पड़ेगी मुख्यमंत्री ना हो परंतु छिंदवाड़ा का विशेष पैकेज अभी भी प्रभावशाली है। अपने शासनकाल में कमलनाथ ने छिंदवाड़ा के लिए एक मास्टर प्लान बनाया था। इस प्लान के तहत आसपास के 27 गांव को छिंदवाड़ा में शामिल करने का प्रस्ताव था। सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिना किसी सवाल जवाब के कमलनाथ वाले मास्टर प्लान को मंजूरी दे दी है। मास्टर प्लान का गजट नोटिफिकेशन हो चुका है। औपचारिकता के लिए दावे आपत्तियां आमंत्रित किए गए हैं।
शिवराज सिंह और कमलनाथ की काफी पुरानी दोस्ती है
राजनीतिक गलियारों में कहा जाता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ के बीच काफी पुरानी और मजबूत दोस्ती है। कमलनाथ जब केंद्रीय मंत्री थे और शिवराज सिंह चौहान विदिशा के सांसद हुआ करते थे, तब भी व्यक्तिगत रूप से कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान को काफी मदद पहुंचाई। कहा जाता है कि व्यापम घोटाले के समय जब भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने शिवराज सिंह चौहान का साथ छोड़ दिया था, तब कमलनाथ ने उन्हें प्रेशर से बाहर निकलने में काफी मदद की। शायद यही कारण था कि 2018 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ के खिलाफ कोई अभियान नहीं चलाया जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को फोकस करते हुए 'माफ करो महाराज' प्रचार अभियान गांव गांव तक चलाया गया था।