भोपाल। कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए ग्वालियर-चंबल के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया बीते रोज अचानक 40 गाड़ियों के काफिले और तमाम समर्थकों के साथ सीएम हाउस पहुंचे। यहां 4 घंटे तक रुके रहे। यह सब कुछ पूर्व निर्धारित नहीं था। सवाल यह है कि यह जलवा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद प्लान किया था या फिर किसी दूसरी प्लानिंग के तहत ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम हाउस लाया गया था। क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया को सबके सामने यह साबित करना पड़ा कि वह मुख्यमंत्री के सामने मंत्रिमंडल और निगम-मंडल की मांग पूरी ताकत से रख रहे हैं।
शाजापुर का कार्यक्रम था और एक सामान्य सौजन्य भेंट
भोपाल में ज्योतिरादित्य सिंधिया का इस तरह का कोई कार्यक्रम पूर्व निर्धारित नहीं था। पुलिस और प्रेस को इसकी कोई सूचना नहीं थी। सिर्फ इतनी जानकारी थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भोपाल से शाजापुर जायेंगे। इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया सीएम शिवराज सिंह चौहान से सौजन्य भेंट करने के लिए उनके घर जाएंगे। सवाल यह है कि फिर ऐसा क्या हुआ जो अचानक 40 गाड़ियों का काफिला उनके साथ नजर आया।
समर्थकों के दबाव में हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया
इसी सप्ताह नवभारत टाइम्स ने खबर प्रकाशित की थी। इस खबर में एनबीटी के पत्रकार ने लिखा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों के भारी दबाव में है। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की स्थाई सरकार बन जाने के बावजूद तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के शपथ ग्रहण की तारीख सुनिश्चित नहीं हो पाई है। विधानसभा का उपचुनाव हार गए मंत्री श्रीमती इमरती देवी, एदल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया सत्ता में वाइल्ड कार्ड एंट्री चाहते और इसके लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भारी दबाव बनाया गया है। भारतीय जनता पार्टी में अपनी टीम को अपने साथ जोड़े रखने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को वह सब कुछ करना पड़ रहा है जो उनकी प्रतिष्ठा और गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह उपस्थित करता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को क्या डर है, समर्थक क्या कर लेंगे
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जितने नेताओं को भारतीय जनता पार्टी में आना था, आ चुके हैं। सवाल यह है कि यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया उन्हें उनकी मनोकामनाएं पूरी नहीं करवाते तो वह लोग क्या कर सकते हैं। क्या वह कांग्रेस में वापस जा सकते हैं। इसकी संभावना शून्य से अधिक नहीं है लेकिन एक बड़ी समस्या है। सभी समर्थक ज्योतिरादित्य सिंधिया को छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में सक्रिय हो सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो इनमें से कुछ लोग 2023 का विधानसभा टिकट भी ले जाएंगे और ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी में अकेले खड़े रह जाएंगे। वैसे भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के जनाधार वाले वफादार नेताओं के पास भारतीय जनता पार्टी में (शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा, कैलाश विजयवर्गीय) काफी विकल्प है।