भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को तलब किया है। मामला लोकसभा चुनाव 2019 के पहले मध्यप्रदेश में चार पुलिस अधिकारियों एवं कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन विधायकों आदि के नाम है। शिवराज सिंह सरकार ने इस मामले में अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है। सरकार के सामने समस्या यह है कि दागी नेताओं की लिस्ट में कुछ नाम ऐसे हैं जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं और सरकार में मंत्री पद पर हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव गृह विभाग को बुलाया
भारत निर्वाचन आयोग ने मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा को दिनांक 5 जनवरी 2021 को दिल्ली बुलाया है। चुनाव आयोग के उपायुक्त चंद्र भूषण कुमार द्वारा भेजे गए पत्र में स्पष्ट लिखा है कि बातचीत का एजेंडा केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड की रिपोर्ट है, जिसमें अवैध धन परिवहन प्रमाणित हुआ है। इस मीटिंग में मध्यप्रदेश शासन को बताना होगा कि वह इस मामले में क्या कार्रवाई कर रहा है।
चुनाव आयोग की चिट्ठी से मध्यप्रदेश में हलचल
इस चिट्ठी के बाद से ही मप्र सरकार की सक्रियता बढ़ गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुख्य सचिव ने चिट्ठी के साथ पूरे विषय की जानकारी दी। अप्रेजल रिपोर्ट के तथ्य भी बताए गए हैं। राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा और तीन आईपीएस अधिकारी बी मधुकुमार, संजय माने और सुशोभन बैनर्जी के साथ मप्र सरकार के कुछ मंत्रियों, विधायकों और कांग्रेस के नेताओं व विधायकों के नाम हैं। मुख्यमंत्री-मुख्य सचिव ने कानूनी पक्ष भी लिया है कि जांच के बिंदू और कार्रवाई की दिशा क्या होगी। ईओडब्ल्यू को केस सौंपने के बाद की संभावनाओं पर भी विचार किया गया।
चुनाव आयोग मामले को टालने के पक्ष में नहीं
उप चुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने मुख्य सचिव के साथ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मप्र को भी पत्र लिखकर जानकारी दी। आयोग ने मुख्य सचिव से कहा है कि वे पूरी तैयारी के साथ दिल्ली आए। यह बताएं कि अब तक क्या किया गया है और आगे क्या कार्रवाई करने वाले हैं। आयकर छापों के मामले में क्या-क्या कार्रवाई करनी है, इसका समयबद्ध प्लान लेकर भी साथ आएं।
चिट्ठी को आज 7 दिन हो गए, कार्रवाई की रूपरेखा बनाने में 7 दिन और लगेंगे
चुनाव से पहले तत्कालीन कमलनाथ सरकार के करीबियों पर आयकर छापे से जुड़ी सीबीडीटी की रिपोर्ट और चुनाव आयोग की चिट्ठी मप्र सरकार को 16 दिसंबर को मिली थी। तब से लेकर अभी तक सात दिन हो गए हैं। इस बीच सरकार ने आयकर विभाग की अप्रेजल रिपोर्ट का परीक्षण करने के साथ कानूनी राय ले ली है। अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि एकाध हफ्ते में कार्रवाई की रूपरेखा पर सहमति बन जाएगी