मप्र में प्राइवेट स्कूलों के लिए नई गाइडलाइन जारी - New guidelines for private schools in MP released

भोपाल। मध्य प्रदेश में प्राइवेट स्कूल संचालकों ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के आदेश के खिलाफ खत्म होते शिक्षा सत्र में फीस वसूली हेतु हड़ताल का ऐलान कर दिया। मुख्यमंत्री के सामने दो विकल्प थे। एक प्राइवेट स्कूल संचालकों का छोटा सा समूह और दूसरी तरफ वह लाखों पेरेंट्स जो हड़ताल का ऐलान तो नहीं कर रहे थे लेकिन सरकार की तरफ देख रहे थे, कि मुख्यमंत्री दबाव में आते हैं या नहीं। अनुमान है कि मुख्यमंत्री ने लाखों पेरेंट्स के दर्द को समझने की कोशिश की है। प्राइवेट स्कूलों के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी गई है।

फीस के लिए नई गाइडलाइन का गजट नोटिफिकेशन भी कर दिया

मप्र निजी विद्यालय फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन अधिनियम 2017 का उपयोग करते हुए सरकार ने नए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। इसका गजट में भी प्रकाशन भी कर दिया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों से साल 2017 से लेकर अब तक तीन सालों की बैलेंस शीट भी मांगी है। इसके आधार पर विभाग स्कूलों द्वारा तीन साल में ली गई फीस की समीक्षा भी करेगा।

जिला समिति से लेना होगा अनुमोदन

  • सभी स्कूलों को शैक्षणिक सत्र शुरू होने के पहले ही स्पष्ट फीस स्ट्रक्चर अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।
  • स्कूल अपने स्तर पर दस फीसद या उससे कम की फीस बढ़ोतरी कर सकेंगे। 
  • यह जानकारी नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के करीब 90 दिन पहले अपलोड करनी होगी। 
  • दस से पंद्रह फीसद फीस बढ़ोतरी के लिए स्कूल प्रस्ताव बनाकर जिला समिति को भेजेंगे। 
  • समिति 45 दिन में इस प्रस्ताव पर निर्णय करेगी। 
  • जिला समिति का अध्यक्ष संबंधित जिले का कलेक्टर होगा। 
  • यदि फीस में 15 फीसद से ज्यादा बढ़ोतरी होना है तो जिला समिति अपने अभिमत के साथ राज्य समिति को भेजेगी। 
  • जिला समिति निजी विद्यालय के प्रबंधन से पूछ सकेंगे कि वे फीस में इतने ज्यादा फीसद की बढ़ोतरी क्यों करना चाहते हैं। 
  • फीस बढ़ाने से पहले कमेटी स्कूल प्रबंधन, विद्यार्थी और उनके परिजनों से उनका पक्ष भी ले सकेगी। 
  • निजी स्कूल प्रबंधन तय फीस से ज्यादा फीस वसूलते हैं और उसकी शिकायत मिलती है तो उसके खिलाफ सरकार कार्रवाई कर सकेगी। कमेटी को फीस वापस कराने के अधिकार भी रहेंगे।

यह भी होगा नए नियम में

  • विद्यार्थी किसी एक दुकान से स्कूल की सामग्री जैसे पुस्तक, यूनिफॉर्म, जूते खरीदने के लिए बाध्य नहीं होंगे।
  • स्कूल प्रबंधन यूनिफॉर्म को छोड़कर किसी भी सामग्री पर स्कूल का नाम नहीं लिख सकेगा।
  • निजी स्कूल यदि यूनिफॉर्म में परिवर्तन करते हैं तो उसके बाद उसे तीन साल तक नहीं बदला जा सकेगा।
  • स्कूलों परिवहन फीस भी फीस स्ट्रक्चर भी स्पष्ट तौर पर बतानी होगी।
  • स्कूलों की शिकायत मिलने पर तो कमेटी कार्रवाई करेगी ही साथ ही स्वत: संज्ञान लेकर भी स्कूलों पर भी कमेटी कार्रवाई कर सकेगी।

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