ONLINE GAMING का बढ़ता व्यापार और परिणाम ? - Pratidin

Bhopal Samachar
कोरोना दुष्काल में जहाँ देश में आर्थिक गतिविधि ठप्प हुई हैं। कई उद्योग अपने निचले स्तर पर पहुँच गये हैं। भारत में गेमिंग का व्यवसाय तेजी से बढ़ा है। बाज़ार का अनुमान है कि देश में कोई 30 करोड़ लोग ऑन लाइन गेम खेलते हैं। कुछ लोगों ने तो अपना पूर्ण व्यवसाय ही बना लिया है। कोरोना के दुष्काल में आये आंकड़े अचम्भित करने वाले हैं। इस काल में ऑन लाइन गेमिंग रिकार्ड तोड़ वृद्धि हुई है। बाज़ार का आकलन है इसी कारण इस साल में गेमिंग कम्पनियों ने निवेश में 78 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। आंकड़े कहते है जनवरी 2020 से दिसम्बर 2020 तक इस बाज़ार में 173 मिलियन डालर का निवेश हुआ है। अगर 2019 के आंकड़ों से तुलना की जाये तो 2019 ने यह आंकड़ा 97.1 मिलियन डॉलर था।

निसन्देह कोरोना महामारी के बाद देश में तेजी से ऑनलाइन गेमिंग उद्योग बढ़ा है। भारतीय ऑनलाइन गेमिंग में वृद्धि के अपार अवसर को देखते हुए जनवरी से दिसंबर तक विदेशी निवेशकों ने पिछले साल के मुकाबले ७८ प्रतिशत अधिक निवेश किया है। जिसके निरंतर बढने की सम्भावना है, अब प्रश्न इससे उत्पन्न होने वाले सह उत्पादों की है | अभी ऐसा कोई सह उत्पाद नजर नहीं आ रहा जिसका सीधा जुडाव राष्ट्र या मानव हित से हो |

उद्योग जगत के आंकड़ों के अनुसार, अभी भारत में ३० -४० करोड़ लोग ऑनलान गेमिंग खेल रहे हैं। इसमें 4४० से ६० प्रतिशत  का उछाल कोरोना के बाद अया है। इस बात की पुष्टि वैश्विक स्तर पर भी हुई, इसके साथ ही भारत ऑनलाइन गेमिंग का दूसरा बड़ा बाजार बन गया है। अगले दो साल में यूजर की संख्या ५०-६० करोड़ होने की उम्मीद है।एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की राह को और अधिक सुगम  सस्ते इंटरनेट और स्मार्टफोन ने बनाई है। रिलायंस जियो आने के बाद से भारत में डेटा की लागत में बड़ी कमी आई है। इसके साथ ही मोबाइल कंपनियों ने सस्ते स्मार्टफोन बाजार में उतारे हैं। इससे ऑनलाइन गेमिंग को बढ़ावा मिला है।

गूगल-केएमपीजी के अनुसार लगातार बढ़ रहे भारतीय ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का साइज २०२१ तक १.१ अरब डॉलर होने की उम्मीद है। इसके साथ ही इसका राजस्व लगभग चार वर्षों में दोगुना हो गया है। वित्त वर्ष २०१८  में ४३.८ बिलियन रुपये था। वित्त वर्ष २०१८-२०२३ से ११११.१८ अरब रुपये तक २२.१ प्रतिशत की सीएजीआर में और बढ़ने की उम्मीद है। ऑनलाइन गेमिंग में वृद्धि गेमर्स की बढ़ती संख्या का परिणाम है, जिनकी संख्या २0२०१०-२०१८ के बीच लगभग दस गुना बढ़ गई है। वर्ष २०२०  में अभी तक विदेशी निवेशकों ने १७३  मिलियन डॉलर का निवेश किया है। वहीं, वित्त वर्ष २०१९  में निवेशकों ने ९७ .१ मिलियन डॉलर का निवेश किया था। अगले साल इसमें और बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है।

ऑनलाइन गेमिंग के लिए भारत बड़े संभावित बाजारों में से एक है, क्योंकि भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में ७५ प्रतिशत उपयोगकर्ता ४५  वर्ष से कम आयु वर्ग के हैं जिनमे ६० प्रतिशत मोबाइल गेमर्स २४ साल से कम उम्र के हैं। ये युवा प्रौद्योगिकी और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल अधिक करते हैं और इसीलिए उनको इस क्षेत्र में ले आना ज्यादा आसान है, ९० प्रतिशत ऑनलाइन गेमर्स स्मार्टफोन और टेबलेट का उपयोग करते हैं।

ऑनलाइन गेमिंग के कुछ लाभ हैं, लेकिन कुछ ऐसे जोखिमों से अवगत होना ज़रूरी है जो उनकी भलाई को प्रभावित कर सकते हैं।खेल युवाओं को दुनिया की वास्तविकता से भागने की भावना प्रदान कर सकते हैं और कुछ खेलों का सामाजिक पहलू बच्चों को एक समुदाय का हिस्सा महसूस करने में मदद कर सकता है। हालांकि, सही मार्गदर्शन के बिना कि किस खेल को खेलना है या कब खेलना है, बच्चों को कुछ जोखिमों जैसे कि इन-गेम बदमाशी, ऑनलाइन ग्रूमिंग या कुछ चरम मामलों में जुआ खेलने की लत से अवगत कराया जा सकता है।
इन चिंताओं को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने "गेमिंग" सेक्शन के तहत जोड़ दिया है जो 'व्यसनी व्यवहार के कारण विकार' (श्रेणी ०६ ) से संबंधित है, जो शराब, ड्रग्स, जुआ से भी संबंधित है। आईसीडी-11 सूची में वीडियो गेमिंग को शामिल करने पर विशेषज्ञों के बीच तीव्र असहमति रही है।

यह मानदंड, जब समर्थन किया जाता है, तो लत के रूप में व्यवहार के चरम मामलों की पहचान करना है। औसत बच्चा जो बहुत सारे खेल खेलता है वह नशे का आदी नहीं है। केवल जब उनका गेमिंग जीवन के अन्य हिस्सों के गंभीर अवरोध के लिए होता है, और इसके बावजूद वे इसका पीछा करना जारी रखते हैं तो १२  महीनों तक इस निदान में गिरावट शुरू हो जाती है।

इसके अलावा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि डोपामाइन का स्तर जो खेल मस्तिष्क में पैदा करते हैं, वे रासायनिक पदार्थों द्वारा बनाए गए उन लोगों का केवल दसवां हिस्सा होते हैं जो नशे की लत हो सकते हैं। बदलते व्यवहार बच्चों को मादक द्रव्यों के सेवन जैसे रासायनिक वापसी के बजाय नई आदतें बनाने में मदद करते हैं।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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