भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षा कर्मियों की नियुक्ति राज्य सरकार के उपक्रम पंचायत विभाग (त्रिस्तरीय पंचायत जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत) एवं नगरी निकाय विभाग के द्वारा अर्थात संविधान के अनुच्छेद 22 के क्रम में "राज्य" के माध्यम से नियमित वेतनमान 1998-99 से शासकीय विद्यालय में की गई थी। जिस पर मध्य प्रदेश के समस्त शिक्षा कर्मी स्कूल शिक्षा विभाग के विद्यालयों में नियमित सेवा करते रहे।
मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में अपने आदेश द्वारा वर्ष 2011 से शिक्षा कर्मी अर्थात अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों को नवीन पेंशन योजना (अंशदाई पेंशन) NPS देना प्रारंभ किया। केंद्र सरकार के कार्मिक एवं पेंशन विभाग के ऑफिस मेमोरेंडम(आदेश) दिनांक 11 जून 2000 के द्वारा केंद्र सरकार के समस्त विभाग एवं समस्त राज्य सरकारों तथा समस्त राज्य सरकारों के स्थानीय निकाय (नगर निगम एवं ग्रामीण पंचायत विभाग) के अंतर्गत 2004 से पूर्व नियुक्त किए गए कर्मचारी यदि तकनीकी रूप से त्यागपत्र देकर या अन्य विधि से सेवा छोड़कर किसी दूसरी सरकार या दूसरे निकाय में जाकर सेवा मैं नियुक्त किए गए हैं तो उनकी पूर्व में की गई सेवा अवधि को नई सेवा में पेंशन हेतु गणना की जाकर उन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS)दिए जाने हेतु निर्देशित/आदेशित किया गया है।
केंद्र सरकार के इस ऑफिस मेमोरेंडम को आधार बनाकर मध्य प्रदेश के समस्त शिक्षा कर्मी अपने आप को एनपीएस का पात्र ना मानते हुए पुरानी पेंशन योजना (OPS) का पात्र मानकर राज्य शासन से अपने अपने अभ्यावेदन भेज भेज कर अपने अपने प्रकरण का निराकरण चाह रहे हैं। इस हेतु शिक्षाकर्मियों ने हजारों की संख्या में अभ्यावेदन राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में भेजे हैं जिन्हें राज्य सरकार के विभिन्न मंत्रालय एक रजिस्टर संधारित कर संभाल कर रख रहे हैं।
अभ्यावेदन पहुंचने के बाद यदि राज्य सरकार ने उन सभी अभ्यावेदन का विधि संगत निराकरण नहीं करती है तो राज्य के समस्त शिक्षाकर्मी पुरानी पेंशन प्राप्त करने हेतु केंद्र सरकार के ऊपर वर्णित पत्र के पालन में यथा शीघ्र उच्च न्यायालय की शरण लेने वाले हैं। इस न्यायालय/अभ्यावेदन मुहिम को राजेश मिश्रा ग्वालियर से 5 माह पूर्व प्रारंभ किया गया था यह मुहिम आज बड़े और व्यापक स्तर पर पूरे मध्यप्रदेश में फैल गई है।
मध्य प्रदेश के समस्त शिक्षा कर्मी इस न्यायालय मुहिम से पेंशन प्राप्ति हेतु बड़े आशान्वित हैं और बड़े दिल से सभी लोग इस मुहिम में इकट्ठे होकर जुट गए हैं जिससे शासन में इस मुहिम पर विचार विमर्श प्रारंभ हो गया है। शिक्षाकर्मी की एकता पुराने समय से ही प्रसिद्ध है एक बार फिर से यह एकता दृष्टिगोचर होना प्रारंभ हो गई है।