जबलपुर। शिक्षा विभाग द्वारा एक परिसर में स्थित स्कूलों को एकीकृत शाला में बदला जा रहा है। इससे विभाग को जहां प्रशासनिक एवं वित्तीय बचत होगी वहीं भविष्य में स्टाफ भी कम लगेगा। विभाग को स्कूलों के बाद अब कार्यालयों को भी इसी तरह एकीकृत करना चाहिए। यह मांग मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने की है।
एकीकृत करने की परियोजना लागू हो: संघ के प्रांतीय महामंत्री योगेंद्र दुबे ने कहा कि स्कूलों को एकीकृत करने की परियोजना को शिक्षा विभाग के विभिन्न कार्यालयों में भी लागू किया जाना चाहिए। इसके तहत ब्लॉक स्तर पर बीआरसी और बीईओ तो जिला स्तर पर डीपीसी और डीईओ तथा प्रदेश स्तर पर राज्य शिक्षा केंद्र का लोक शिक्षण संचालनालय में एकीकरण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा ऐसा करने से बजट और मानवीय श्रम दोनों की बचत होगी। प्रदेश सरकार के खजाने में पड़ने वाला भार भी कम होगा।
भ्रम की स्थिति बनी रहती है, किसके पास कितने अधिकार समझ नहीं आता
वर्तमान में राज्य स्तर पर लोक शिक्षण संचालनालय और राज्य शिक्षा केंद्र का अलग-अलग संचालन हो रहा है। दोनों विभागों से अलग-अलग आदेश जारी किए जाते हैं जिसको लेकर शिक्षकों में भ्रम की स्थिति बनी रहती है। दोनों विभागों के एकीकृत होने से जहां प्रशासनिक एकरूपता आएगी वहीं शिक्षकों की परेशानी भी कम होगी।
दोनों विभाग के अधिकारियों द्वारा मिलकर मानीटरिंग करने से व्यवस्थाओं में भी सुधार होगा और जो ढेर सारी विषमताएं फैली हैं वे भी दूर होंगी। संघ के अर्वेंद्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, दुर्गेश पांडे, ब्रजेश मिश्रा, गोविंद विल्थरे सहित अन्य ने मांग की है कि राज्य शिक्षा केंद्र का शिक्षा विभाग में जल्द ही सलंयन किया जाए।