नई दिल्ली। आगरा उत्तर प्रदेश के 18 वर्षीय छात्र सिद्धांत बत्रा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी मुंबई को आदेशित किया है कि वह सिद्धांत बत्रा को अंतरिम प्रवेश उपलब्ध कराएं। प्रवेश प्रक्रिया के दौरान सिद्धांत बत्रा से एक गलत क्लिक हो गया था, जिसके कारण उसके द्वारा रिजर्व की गई सीट वापस हो गई। तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि महत्वपूर्ण फैसलों के लिए सिर्फ एक क्लिक पर्याप्त नहीं होता। क्लिक करने के बाद कन्फर्मेशन क्लिक भी होना चाहिए।
मामला क्या है, सुप्रीम कोर्ट क्यों गया
आगरा के छात्र सिद्धांत बत्रा ने JEE की परीक्षा में ऑल इंडिया 270वीं रैंक हासिल की थी। अच्छी रैंक के बाद उसने 18 अक्टूबर को पहले राउंड में आईआईटी-बॉम्बे (IIT-Bombay) में अपनी पसंद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग BTech कोर्स में अपनी सीट आरक्षित कर ली थी। ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के दौरान रोल नंबर अपडेट करते समय अचानक उससे 'सीट वापसी' वाले विकल्प पर क्लिक हो गया। दुनियाभर को टॉप क्लास के इंजीनियर देने वाली संस्था IIT ने सिंगल क्लिक को फाइनल ऑर्डर माना और छात्र सिद्धांत मथुरा को सीट आवंटित नहीं की। छात्र ने IIT मैनेजमेंट से निवेदन किया परंतु कोई फायदा नहीं हुआ। छात्र ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई तो IIT मैनेजमेंट ने खुद को एक व्यापारी की तरह प्रस्तुत करके एडमिशन देने से इंकार कर दिया। तब कहीं जाकर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पर पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट में आईआईटी-बॉम्बे ने कहा कि उसके पास खाली सीट नहीं थी और बत्रा अगले साल आवेदन कर सकते हैं। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋशिकेष रॉय की पीठ ने सिद्धांत की ओर से अधिवक्ता प्रह्लाद परांजपे के कथन को संज्ञान में लिया था। इसके बाद कोर्ट ने आईआईटी बॉम्बे से अपने आदेश में कहा कि वह छात्र को अंतरिम प्रवेश दे। पीठ ने इसके साथ ही याचिका पर आईआईटी, बॉम्बे को नोटिस जारी किया और यह याचिका शीतकालीन अवकाश के बीच सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी।
सिर्फ एक क्लिक पर भाग्य का फैसला कैसे हो सकता है
IIT जैसे संस्थानों में एडमिशन छात्रों के लिए भाग्य बदलने वाला होता है। ऑनलाइन एक्टिविटीज के दौरान कई बार गलत जगह पर क्लिक हो जाता है या फिर एंटर प्रेस हो जाता है लेकिन ऑनलाइन एक्टिविटीज के दौरान महत्वपूर्ण मामलों में सिर्फ एक क्लिक काफी नहीं होता। यदि आप किसी पेमेंट गेटवे के थ्रू ₹10 का भुगतान भी करते हैं तो उसके लिए डबल वेरिफिकेशन किया जाता है। आईआईटी भारत में इंजीनियरिंग का सबसे प्रतिष्ठित संस्थान है। ऐसी संस्था के भीतर सिर्फ एक क्लिक को फाइनल मान लेना, मैनेजमेंट की मंशा पर सवाल खड़े करता है और यह संदेह करने के लिए पर्याप्त कारण उपस्थित करता है कि प्रबंधन योग्य छात्रों से सीट छीनने के लिए उनकी छोटी सी गलती का पूरा फायदा उठाता है। क्या इसके पीछे कोई भ्रष्टाचार है।