नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भारत के सभी विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया है कि वह अपने ग्रेजुएशन प्रोग्राम में एक नया विषय अनिवार्य रूप से शामिल करें। यूजीसी ने साइबर सुरक्षा को सभी प्रकार के स्नातक कार्यक्रमों के लिए अनिवार्य कर दिया है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने साइबर सुरक्षा स्टार्टअप, हैकथॉन पर काम करने का भी निर्देश दिया है।
आयोग के सचिव प्रो. रजनीश जैन की ओर से इस संबंध में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखा गया है। उन्होंने लिखा है कि साइबर स्पेस एक जटिल परिवेश है। इसमें सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उपकरणों और नेटवर्क की मदद से लोगों के बीच संपर्क, सॉफ्टवेयर और सेवाएं शामिल हैं।
यह इरादतन या अकस्मात, मानव निर्मित या प्राकृतिक घटनाओं के लिहाज से काफी संवेदनशील है। इसलिए साइबर सुरक्षा आज की जुड़ी हुई दुनिया में प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। केंद्र सरकार राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति दस्तावेज तैयार करने की प्रक्रिया में है। ऐसे में यह निर्णय लिया गया है कि स्कूल स्तर पर साइबर सुरक्षा जागरूकता शुरू होनी चाहिए, जहां पाठ्यक्रम साइबर सुरक्षा कदमों के साथ शुरू हो सकता है और इसमें आईआईटी और उच्च शिक्षा स्तर पर उत्तरोत्तर आक्रामक तथा रक्षात्मक पहलू शामिल हों।
आयोग ने अपने पत्र में शिक्षण समुदाय से कहा है कि वे साइबर सुरक्षा पर काम करने के साथ छात्रों और शिक्षकों को प्रोत्साहित करें। इसके अलावा साइबर सुरक्षा विषय को पाठ्यक्रम में भी शामिल करें।
उच्च शिक्षण संस्थानों को साइबर सुरक्षा जागरूकता क्रियान्वयन पर उचित कार्रवाई का निर्देश देते हुए कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान शिक्षक समुदाय को साइबर सुरक्षा स्टार्टअप पर काम करने तथा हैकथॉन आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं और बढ़ावा दे सकते हैं।