नई दिल्ली। भारत की लगभग हर शहर में सब्जियों के दाम कम हो जाने के बाद महंगाई दर 15 महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। सब्जी मंडी में भारतीय मुद्रा की वैल्यू बढ़ गई है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर 3.41 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व माह नवंबर में 9.5 प्रतिशत थी।
चालू वित्त वर्ष में यह पहली बार है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से नीचे है। रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति महंगाई दर 2- 6 प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से सीपीआई आधारित महंगाई दर पर गौर करता है। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार नवंबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति 6.93 प्रतिशत थी।
दिसंबर 2019 में मुद्रास्फीति 7.35 प्रतिशत थी। इससे पहले सितंबर 2019 में मुद्रास्फीति न्यूनतम 4 प्रतिशत पर थी। दिसंबर में महंगाई दर में कमी में सब्जियों के दाम में सालाना आधार पर 10.41 प्रतिशत की गिरावट का बड़ा प्रभाव है। सब्जियों की महंगाई दर दिसंबर में 10.41 प्रतिशत कम हुई है जबकि नवंबर में रसोई में उपयोग होने वाले जरूरी सामान की मुद्रास्फीति 15.63 प्रतिशत बढ़ी थी। अनाज और उसके उत्पादों की महंगाई दर दिसंबर में 0.98 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व माह में 2.32 प्रतिशत थी।
इसी प्रकार, मांस और मछली के साथ दलहन और उसके उत्पाद खंड में कीमत वृद्धि की दर धीमी रही। रेटिंग एजेंसी इक्रा लि. की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि उम्मीद के अनुरूप मुख्य खुदरा मुद्रास्फीति (बिनिर्मित उत्पादों की मूल्य वृद्धि) दिसंबर में कुछ नरम होकर 5.5 प्रतिशत रही। आने वाले समय में कोविड-19 टीका आने के साथ मुख्य मुद्रास्फीति में सुधार सीमित रह सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर मौद्रिक नीति समिति के 2021-22 में 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर रहने की संभावना है, ऐसे में मौजूदा चक्र में हम नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद नहीं कर रहे...।’’ एक्यूट रेटिंग्स एंडरिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट ने थोड़ा अचंभित किया है। अब यह देखना है कि यह नीचे बनी रहती है या नहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति एमपीसी के संतोषजनक स्तर के करीब पहुंच गया है लेकिन हमारा मानना है कि इसमें और कमी की संभावना कम है और ब्याज दर के मार्चे पर यथास्थिति बनी रह सकती है।’’ केंद्रीय बैंक को सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया हुआ है। आरबीआई ने मुद्रास्फीति की चिंता के बीच पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर को यथावत रखा।