इंदौर। मध्य प्रदेश की जनता से टैक्स लेकर गरीबों को प्रतीकात्मक मूल्य पर राशन उपलब्ध कराने की योजना में पिछले दिनों बड़ा घोटाला पकड़ा गया था। शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में राशन की सामग्री की हेराफेरी पकड़ी गई थी। इसी मामले में इन्वेस्टिगेशन के दौरान पाया गया कि प्रभारी खाद्य अधिकारी आरसी मीणा राशन माफिया का साथ दे रहा है एवं अपने अधीनस्थ अधिकारियों को उसके खिलाफ कार्रवाई करने से रोकता है। कलेक्टर के आदेश पर गड़बड़ी के आरोपी भरत दवे सहित 29 लोगों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के अलावा कई धाराओं में केस दर्ज करवाया है। भरत दवे समेत तीन लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत् भी कार्रवाई की जा रही है।
जिला कलेक्टर मनीष सिंह ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि उचित मूल्य की दुकानों से प्राथमिकता परिवार की 24 श्रेणियों के पात्र हितग्राहियों को एक रुपये की दर से राशन दिया जाता है। कोरोना महामारी के कारण गत वर्ष अप्रैल में इंदौर जिले में करीब 42 हजार परिवारों के लिए प्रति सदस्य पांच किलो खाद्यान्न् का आवंटन हुआ था। यह खाद्यान्न् हितग्राहियों को निशुल्क दिया जाना था।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि भरत दवे और प्रमोद दहीगुडे के सहयोग से उनके परिचितों द्वारा संचालित उचित मूल्य दुकानों से सामग्री वितरण करने या कम करने की शिकायतें प्राप्त हो रही थी। शिकायतों की जांच के बाद 12 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को चिन्हित किया गया। इनकी जांच के लिए अनुविभागीय अधिकारियों के नेतृत्व टीम गठित की गई। जब जांच टीम ने इन 12 दुकानों के कारोबार स्थलों पर जाकर उनके रिकॉर्ड और पीओएस मशीन की पड़ताल कर भौतिक सत्यापन किया तो कई अनियमितताएं पाई गईं। जो मप्र सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2015 के प्राविधानों का उल्लंघन होता है।
जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि इन दुकानों के संचालन में भरत दवे की संलिप्तता थी। जिसे संचालनकर्ताओं ने भी स्वीकार किया। राशन दुकान संघ का अध्यक्ष होने के कारण भरत दवे ने राशन की हेराफेरी करके आर्थिक लाभ की उठाया। कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों ने बताया कि छात्र प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी समिति का उपाध्य श्याम दवे हेराफेरी के काम भरत दवे का निकटतम सहयोगी था। प्रमोद दहीगुडे ने भी तीन दुकानों का संचालन करते हुए राशन खुले बाजार में बेचा हैं।
राशन की हेराफेरी की शिकायतों के बावजूद प्रभारी खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया बल्कि राशन माफिया का साथ दिया। इस मामले में निलंबित मीणा ने राशन माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अपने मातहत् कनिष्ठ अधिकारियों को भी रोका। इस मामले में 29 आरोपितों के अलावा मीणा के खिलाफ धारा 120-बी में अपराध पंजीबद्ध किया गया है।