इंदौर। स्टेट साइबर सेल ने मध्यप्रदेश सहित भारत के कई दुकानदारों के साथ ठगी करने वाले एक रैकेट को पकड़ लिया है। इस गैंग का लीडर मात्र 26 साल का है और उच्च शिक्षित भी नहीं है लेकिन बाजार की बारीकियां जानता है और उसी का फायदा उठाते हुए यह गिरोह दुकानदारों से बड़े ही आराम से लाखों की ठगी कर लेता था। गिरोह के सभी सदस्य राजस्थान के जालोर जिले के रहने वाले हैं।
व्यापारियों से ठगी करने वाले रैकेट का पता कैसे चला
एसपी राज्य सायबर सेल जितेन्द्र सिंह ने बताया कि 4 दिसंबर को पंजाबी सर्राफ ज्वेलर्स के मैनेजर ने शिकायत की थी कि किसी व्यक्ति ने उन्हें मुंबई के नामी ज्वेलर्स के मालिक के नाम से काॅल किया। नंबर के साथ काॅल करने वाले का फोटो भी दिख रहा है। वह इंदौर में अपना 4 लाख रुपया अटका होने पर इस रकम को दिल्ली में पेमेंट करने की गुजारिश कर रहा था। उसने कहा कि दिल्ली में फंसा हूं, 4 लाख कैश दिलवा दो, मेरा बंदा पेमेंट दे जाएगा। उसके फोटो को देखकर मैनेजर विश्वास में आ गया कि यह काॅल उन्हीं की लिंक का है। फिर उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के जरिए दिल्ली में पेमेंट करवा दिया। कुछ घंटे बाद जब फरियादी को इंदौर में अपना पेमेंट प्राप्त नहीं हुआ तो उसे धोखाधड़ी का पता चला। इसके बाद उसने थाने में शिकायत दर्ज करवाई।
कारोबारियों से ठगी करने वाले गिरोह के दो सदस्य पकड़े गए, सरगना की तलाश
मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर जांच में लिया और टीमों को सूरत, जयपुर, दिल्ली, जालौर आदि स्थानों पर भेजा। यहां मुखबिर और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर दिल्ली करोलबाग से आरोपी रामकृष्ण राजपुरोहित निवासी ग्राम नून जिला जालौर राजस्थान को पकड़ा। उसने कबूला कि वह और उसका साथी शैतान सिंह उर्फ प्रदीप राठौर जालौर से जयपुर होते हुए दिल्ली एक पेमेंट उठाने आए थे। यह पेमेंट लेने के लिए उन्हें सरगना नरेन्द्र उर्फ दशरथ सिंह ने भेजा था। फिर पुलिस ने शैतान सिंह को पकड़ा। अब पुलिस को मुख्य आरोपी नरेन्द्र सिंह उर्फ दशरथ सिंह और उसकी गैंग की तलाश है।
सर्राफा व्यापारियों से ठगी कैसे करते थे
आरोपियों ने बताया कि नरेन्द्र सिंह देशभर के नामचीन ज्वेलर्स को किसी दूसरे नामी ज्वेलर्स के मालिक की हैसियत से फोन काॅल करता था। फिर उनके शहर में पेमेंट अटकने तथा किसी लोकेशन पर पेमेंट करवाने के सहयोग की गुजारिश करता था। नरेन्द्र सिंह के साथ गैंग के अन्य सदस्य दूसरे मोबाइल के मार्फत पेमेंट लेकर निकल जाते थे। फिर पेमेंट कहीं अटकने का बोलकर उसे जाल में फंसा लेते। फिर अपना मोबाइल बंद कर लेते थे। जबकि दूसरी गैंग ज्वेलर्स द्वारा लेकर आए पेमेंट को रिसीव कर लेते थे। पुलिस को इस गैंग के नरेन्द्र उर्फ दशरथ सिंह, मोहर सिंह, विजय सिंह, रज्जाक खान, कमलेश राजपुरोहित और अन्य साथी की तलाश है।
मोबाइल एप के जरिए कॉल कर बिछाते थे जाल
सिंह ने बताया कि आरोपी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं और सभी ग्रामीण परिवेश वाले हैं, लेकिन सोशल इंजीनियरिंग में माहिर हैं। ये ज्वेलर्स के बारे में सामाजिक पत्रिकाओं या फिर अन्य माध्यम से पूरी जानकारी एकत्रित कर लेते थे। इसके बाद ये जिसे भी कॉल करना होता था, उसका नंबर मोबाइल में फोटो सहित उसी के नाम से सेव करते थे। गैंग का सरगना नरेन्द्र सिंह दूसरे नामी ज्वेलर्स के नाम से दूसरी जगह कॉल करता और मदद मांगता। क्योंकि मोबाइल में नंबर और नाम और फोटो सेव होता था, इसलिए सामने वाले के पास उसी ज्वेलर की पूरी जानकारी पहुंचती, जिसके नाम से इन्होंने कॉल किया था। इसी प्रकार भरोसे में आकर ये कैश पेमेंट करवा देते थे। कैश पेमेंट होने से कोई सबूत नहीं रहता था, इसी कारण कोई शिकायत नहीं कर पाता था।
दिल्ली, राजस्थान और गुजरात में भी मामले दर्ज हैं
सिंह के अनुसार गिरफ्त में आए आरोपियों ने बताया कि गैंग ने धोखाधड़ी के लिए एक कोड वर्ड बना रखा था... 'डीजे बजाना'। जब भी ठगी को लेकर कोई बात होती तो ये इसी शब्द का इस्तेमाल करते थे। इन्होंने अब तक कई बड़े ज्वेलर्स को अपना निशाना बनाया है। गिरोह का 26 वर्षीय सरगना नरेन्द्र सिंह उर्फ दशरथ सिंह महंगी गाड़ियों में घूमता है। उसे सोने-चांदी के जेवर पहनने का बहुत शौक है। गिरफ्त में आए सदस्यों की माने तो दशरथ गांव में सरपंची का चुनाव भी लड़ चुका है। हालांकि वह हार गया था। उसे महंगी होटलों में रुकना, अय्याशी करना और हवाई यात्रा करना बहुत पसंद है। इन्होंने बैंगलूर, सूरत, बङौदा, मुंबई, जयपुर, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अपने ठिकाने बना रखे हैं। इनके खिलाफ दिल्ली, जयपुर और राजकोट में भी केस दर्ज हैं।