अक्सर बताया जाता है कि सूर्य के स्थायित्व के कारण मकर संक्रांति का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाता है जबकि हिंदू धर्म के दूसरे त्योहारों की तारीख अक्सर बदलती रहती है। यह बात सही है परंतु 100% सही नहीं है। हर 72 साल में सूर्य 1 दिन की देरी से राशि परिवर्तन करता है अतः हर 72 साल में मकर संक्रांति की तारीख बदल जाती है। 1000 साल पहले 1 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती थी और करीब 5000 साल बाद 28 फरवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही क्यों मनाई जाती है
मकर संक्रांति सूर्य का पर्व है। यह दो ऋतुओं का संधिकाल है। इस दिन से शीत ऋतु खत्म होती है और बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है परंतु यह हमेशा से 14 जनवरी को नहीं मनाया जाता था और ना ही भविष्य में हमेशा मनाया जाता रहेगा। इन दिनों भी परिवर्तन शुरू हो गया है। कभी 14 तो कभी 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
मकर संक्रांति की तारीख की गणना कैसे की जाती है
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार इस दिन सूर्य अपनी राशि परिवर्तित करते हैं। धनु राशि से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। क्योंकि सूर्य एक स्थाई ग्रह है इसलिए तारीख में परिवर्तन नहीं होता परंतु समय में परिवर्तन होता है। हर साल मकर संक्रांति पर्व का प्रवेश 20 मिनट देरी से होता है। जिस समय सूर्य राशि परिवर्तित करते हैं वही समय और तारीख मकर संक्रांति का पर्व कहलाती है।
पहले 1 जनवरी को मनाई जाती थी मकर संक्रांति
हर साल संक्रांति के पर्व में 20 मिनट की वृद्धि हो रही है। इस हिसाब से यदि समय की गणना की जाए तो करीब 1000 साल पहले मकर संक्रांति का पर्व 1 जनवरी को मनाया जाता था। ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शुक्ला बताते हैं कि 1902 में पहली बार 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया और 1964 में पहली बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्यौहार आया।
2077 के बाद मकर संक्रांति 14 जनवरी को कभी नहीं आएगी
पंचांग की गणना के अनुसार हर तीसरे साल अधिकमास होने से दूसरे और तीसरे साल 14 जनवरी को, चौथे साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जा रही है। इस तरह 2077 में आखिरी बार 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इसके बाद मकर संक्रांति का पर्व स्थाई रूप से 15 जनवरी को मनाया जाएगा।
हर 72 साल में बदल जाती है मकर संक्रांति की तारीख
ज्योतिषीय आकलन के अनुसार सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहा जाता है। हर तीन साल के बाद सूर्य एक घंटे बाद और हर 72 साल में एक दिन की देरी से मकर राशि में प्रवेश करता है। पं. वासुदेव शास्त्री के अनुसार दोपहर 2:44 बजे से रात्री 10:44 तक विशेष पुण्यलाभ रहेगा।