भोपाल। चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। जिस समय पूरा मध्य प्रदेश लोक डाउन था और उसके बाद कोरोनावायरस संक्रमण काल के कारण यातायात प्रतिबंधित था उस समय मध्य प्रदेश से 8 महीनों में 7000 लड़कियां गायब हो गई। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इस मुद्दे को विपक्षी दल कांग्रेस ने नहीं उठाया बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उठाया।
लड़कियों का इस तरह लापता होना सामान्य बात नहीं है: सीएम शिवराज सिंह
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में एक उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाई। उन्होंने डीजीपी विवेक जौहरी को निर्देश दिए कि लापता युवतियों और बच्चियों के तलाश करने का अभियान तेज करें। उन्होंने कहा, घर से बाहर अन्य जिलों में रहकर काम करने वाली युवतियों का रिकाॅर्ड रखने के लिए सिस्टम बनाएं, जिसमें वे शिकायत कर सकें। ऐसी व्यवस्था की जाए, जिसके तहत कार्य के लिए जिले से बाहर जाने पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो। उन्होंने कहा, गायब बच्चों में बेटों की तुलना में बेटियों की संख्या दुगुनी होने से स्पष्ट संकेत है कि उनका लापता होना सामान्य नहीं है।
लापता 7 हजार युवतियों में से पुलिस ने करीब 4 हजार को तलाश की है, जबकि 3 हजार का सुराग नहीं मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियों के गायब होने के मामले में गंभीर कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लापता बालिकाओं की संख्या भी छोटी नहीं है। इतनी बड़ी संख्या में ये होना चिंता का विषय है।
डीजीपी ने बताया: मध्य प्रदेश से लड़कियां लापता क्यों हो रही हैं
डीजीपी जौहरी ने बैठक में बालिकाओं और युवतियों के लापता होने के पीछे प्रमुख कारण बताए। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र के थानों में दर्ज मामलों में अधिकांश में बिना बताए घर से जाना, नाराज होकर भागना या बिना बताए प्रेमी के साथ भागने के तथ्य सामने आए हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र से मजदूरी के नाम पर पलायन होता है। इसमें श्रम विभाग की कार्रवाई आवश्यक होगी। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी देखें, कॉन्ट्रैक्टर उन्हें कहां और किस कार्य से ले जाते हैं, इसका रिकाॅर्ड रखा जाए। बैठक में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस और अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा भी मौजूद रहे।
एक देश एक हेल्पलाइन नंबर: मुख्यमंत्री
इससे पहले मुख्यमंत्री विभिन्न तरह की हेल्पलाइन को एक करने के लिए भी प्रस्ताव बनाने के निर्देश दे चुके हैं। अभी उमंग एप,1090 प्रदेश की व्यवस्था है। भारत सरकार का हेल्प लाइन नंबर 1098 है। हालांकि सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से प्रदेश के 7 शहरों में सेफ सिटी कार्यक्रम शुरू किया है। अगले एक साल में इसका विस्तार किया जाना है।
PHQ की नई गाइडलाइन: 3 महीने में जांच पूरी करो नहीं तो कार्रवाई होगी
महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों के मामलों में दो माह में जांच पूर्ण करने का प्रावधान है।
जिन अपराधों की विवेचना के लिए स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित नहीं है, उनकी जांच भी 3 महीने में पूरी करनी होगी।
न्यायालय के निर्णय, निर्देश, पुलिस मुख्यालय के आदेश और निर्देश के पालन में जांच तीन महीने में पूरी करनी होगी।
महिला अपराधों की जांच 3 माह से आगे जारी रखने के लिए विवेचक थाना प्रभारी को पहले मामले में एसपी से अलग-अलग आदेश प्राप्त करना होगा।