यदि कोई ऐसा जनसमूह एकत्रित होता है, जिसे SDM विधिविरुद्ध एकत्रीकरण मानता है तो उसे हटाने के लिए पुलिस निर्देशानुसार हल्काबल प्रयोग कर सकती है परंतु यदि जनसमूह में मौजूद लोग मौके पर डटे रहने के लिए पुलिस पर जवाबी हमला कर दें तो यह आईपीसी की धारा 146 के अंतर्गत बल्वा का अपराध होता है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 146 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति विधि विरुद्ध जमाव में बने रहने के लिए अपने बल का प्रयोग करता है तब ऐसा करने वाला व्यक्ति या एक से अधिक ऐसा करने वाले व्यक्ति धारा 146 के अंतर्गत बल्वा अपराध के दोषी होंगे।
{ नोट:- अगर कोई जमाव विधि विरुद्ध नहीं है तब बल पूर्वक किसी को हटाना और बल पूर्वक न हटने के लिए कोई व्यक्ति द्वारा विरोध करना बल्वा का अपराध नहीं माना जाएगा। }
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 146 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
अगर कोई व्यक्ति धारा 146 के अंतर्गत बल्वा का अपराध करता है तब उस अपराध का दण्ड का प्रावधान दण्ड संहिता की धारा 147 में दिया गया है। यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- इस अपराध के लिए दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दाण्डित किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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