हम आपको अपने लेखों में सेना के सैनिकों से संबंधित अपराध के बारे में जानकारी बता रहे हैं, क्योंकि यह अपराध दण्ड संहिता में अलग ही श्रेणी में रखा है। भारतीय दण्ड संहिता में अगर सैनिकों को कोई दुष्प्रेरण करेगा एवं उस दुष्प्रेरण द्वारा सैनिक कोई अपराध कर दे तब भारतीय दण्ड संहिता में सैनिक अपराधी नहीं होगा क्योंकि सैनिकों के अपराध के लिए सेना अधिनियम (एक्ट) के अंतर्गत ही कार्रवाई की जाती है। भारतीय दण्ड संहिता में उन व्यक्ति को अपराधी माना है जो सैनिक नहीं है और सैनिकों को उकसाते है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 134 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति आर्मी, नेवी, एयर फोर्स सेना के किसी सैनिक या सैनिक समूह को ड्यूटी के समय उकसाएगा और कोई सैनिक उसी समय (ड्यूटी पर) अपने अधिकारी पर हमला कर दे या उनके विरुद्ध विद्रोह या कोई कार्रवाई कर देगा तब वह व्यक्ति जो सेना के सिपाही को उकसाता है वह धारा 134 के अंतर्गत दंडनीय होगा। जबकि इस धारा में हमला करने वाले सैनिक को आरोपित नहीं किया जाएगा।
धारा 133 एवं 134 में अंतर:-
पढ़ने में दोनो धाराएं समान ही होती है पर इनमें बहुत अंतर है। 133 वहाँ लागू होगी जब सैनिक को ड्यूटी के समय मात्र उकसाया गया हो, लेकिन सैनिक या सैनिकों ने किसी प्रकार की प्रतिक्रिया ना की हो और धारा 134 वहाँ लागू होगी जहाँ सैनिकों को ड्यूटी के समय उकसाने पर विद्रोह हो गया हो। सैनिक ने अपने अधिकारी पर हमला कर दिया हो। दोनो धाराओं की सजा (दण्ड) में भी अंतर है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 134 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते है। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को होता है, सजा- इस अपराध के लिए सात वर्ष की कारावास एवं जुर्माने से दाण्डित किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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