नई दिल्ली। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने नए वर्ष पर केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों के लिए “दिव्यांगता क्षतिपूर्ति” योजना की शुरुआत के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यदि कोई कर्मचारी सेवा के दौरान दिव्यांगता का शिकार होता है और उसकी सेवाएँ दिव्यांग होने के बाद भी बरकरार रखी जाती हैं तो उन्हें “दिव्यांगता क्षतिपूर्ति” का लाभ दिया जाएगा।
वर्दीधारी केंद्रीय कर्मचारियों को सबसे ज्यादा लाभ होगा
आज का यह आदेश केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल CAPF के युवा जवानों जैसे CRPF, BSF, CISF इत्यादि के जवानों को बड़ी राहत उपलब्ध कराएगा, जिनकी सेवा की प्रकृति के चलते अपना दायित्व निभाते हुए दिव्यांगता का शिकार होने की संभावना बनी रहती है।
NPS वाले केंद्रीय कर्मचारियों को भी दिव्यांगता क्षतिपूर्ति का लाभ मिलेगा
यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि नया आदेश सेवा नियमों की एक विसंगति को दूर करेगा जिसके चलते केंद्रीय कर्मचारियों को जटिलताओं का सामना करना पड़ता था। इस संबंध में 5 मई, 2009 को जारी किए गए आदेश के तहत 1 जनवरी, 2004 या उसके बाद सेवा में शामिल हुए सरकारी कर्मियों को केंद्रीय नागरिक सेवाओं (CCS) EOP नियमों के अंतर्गत दिव्यांगता का लाभ नहीं मिलेगा और वह राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम (NPS) के अंतर्गत कवर होंगे। कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के पेंशन विभाग द्वारा जारी नए आदेश के अंतर्गत अब उन कर्मचारियों को भी अतिरिक्त असाधारण पेंशन (EOP) के नियम 9 के तहत लाभ प्राप्त होगा जो NPS के दायरे में आते हैं।
दिव्यांगता क्षतिपूर्ति योजना के तहत कर्मचारी को कितना पैसा मिलेगा
अन्य शब्दों में यदि एक सरकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी के दौरान दिव्यांगता का शिकार होता है और यह दिव्यांगता उसकी सरकारी सेवा को प्रभावित करती है और उसकी सेवा बरकरार रखी जाती है तो उसे एकमुश्त राहत राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसकी गणना समय-समय पर जारी की जाने वाली परिवर्तित सारणी के आधार पर की जाएगी।
नरेंद्र मोदी सरकार कर्मचारियों के लिए नियमों का सरलीकरण कर रही है
इस आदेश के जारी होने पर संतोष व्यक्त करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार नियमों के सरलीकरण के लिए और विभेदकारी नियमों को खत्म करने के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सभी प्रकार की नई पहल का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के जीवन को आसान बनाना है। इससे वह कर्मचारी भी लाभान्वित होंगे जो आज पेंशन भोगी हैं अथवा जिनके परिजन पेंशन प्राप्त कर रहे हैं।
पेंशन के लिए न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा शर्त अनिवार्य नहीं
सरकारी कर्मचारियों के हित में कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में एक और आदेश जारी किया था जिसके अंतर्गत पेंशन प्राप्त करने के लिए न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा शर्त में छूट दी थी, यदि कोई सरकारी कर्मचारी शरीर से या चिकित्सकीय अक्षमता के कारण सरकारी सेवाओं से सेवानिवृत्त होता है तो। इस संदर्भ में CCS (पेंशन) के नियम 38 में संशोधन कर आखिरी भुगतान के 50% पेंशन देने का नियम लागू किया गया, भले ही कर्मचारी 10 वर्ष की न्यूनतम आवश्यक सेवा शर्त को पूर्ण नहीं कर पाया हो।
सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को पेंशन के लिए 7 वर्ष की न्यूनतम सेवा शर्त समाप्त
इसके अतिरिक्त पेंशन से जुड़े नियमों में एक और महत्वपूर्ण सुधार किया गया और यह निर्णय किया गया कि सरकारी कर्मचारी के आश्रित को आखिरी भुगतान के 50% पेंशन का अधिकार प्राप्त करने के लिए 7 वर्ष की न्यूनतम सेवा की आवश्यक शर्त को भी खत्म किया गया। इसके तहत यदि किसी सरकारी कर्मचारी की 7 वर्ष की सेवा पूर्ण होने से पहले ही सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है तब भी कर्मचारी के परिवार को उसके आखिरी भुगतान के 50% राशि पेंशन के तौर पर निर्धारित की जाएगी। (यह जानकारी कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय द्वारा दी गई। )