पुलिस प्रक्रिया के दौरान अक्सर देखा जाता है की पुलिस हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति का मेडिकल टेस्ट करवा देती है। सवाल यह है कि क्या पुलिस की किसी भी स्तर के कर्मचारी को किसी भी प्रकार के आरोपी का मेडिकल टेस्ट कराने का अधिकार प्राप्त है। सवाल यह भी है कि एक डॉक्टर पुलिस की प्रार्थना पर किसी अन्य व्यक्ति की मर्जी के खिलाफ किस प्रकार का मेडिकल टेस्ट कर सकता है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की परिभाषा 53 की परिभाषा:-
इस धारा के अनुसार इंस्पेक्टर अथवा सब इंस्पेक्टर रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर डॉक्टर से मेडिकल टेस्ट के लिए प्रार्थना कर सकता है। पुलिस अधिकारी के पास इस बात का उचित आधार होना चाहिए कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति का मेडिकल टेस्ट कराना प्रकरण के लिए अनिवार्य है। (सब इंस्पेक्टर से निम्न पद पर पदस्थ पुलिस कर्मचारी किसी भी व्यक्ति का मेडिकल कराने के लिए अधिकृत नहीं है।)
नोट:-रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी से अभिप्रेत है जिसके पास भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 की धारा 2 के खण्ड(ज) में परिभाषित कोई चिकित्सीय योग्यता हैं और जिसका नाम राज्य चिकित्सा रजिस्टर में दर्ज किया गया है। इसी चिकित्सालय (हॉस्पिटल) की मेडिकल रिपोर्ट मान्य होगी।
मेडिकल टेस्ट में डॉक्टर शरीर के बाहरी भाग के साथ अंदर के भाग की भी जाँच कर सकते हैं।
अनिल आनंतराव लोखंडे के मामले में न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि आरोपी के शरीर की जाँच उसके शरीर के केवल बाहरी भाग तक सीमित नहीं है, बहुत बार यह आवश्यक हो जाता हैं कि साक्ष्य एकत्रित करने के लिए उसके शरीर के आंतरिक भाग की जाँच की जाय। ऐसी स्थिति में आरोपी के रक्त की जाँच आवश्यक है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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