मंडला। मंडला में शिक्षक दक्षता परीक्षा के लिए लिस्ट बनाने वाले और इस लिस्ट को जारी करने के लिए जिम्मेदार तमाम अधिकारियों की दक्षता परीक्षा अनिवार्य है। इस लिस्ट को पढ़ने के बाद स्पष्ट होता है कि काम कम कॉमेडी ज्यादा हुई है। यह एक सास के दस्तावेज नहीं बल्कि कॉमिक्स ज्यादा लगती है। जो शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर था, जिसने विषय को पढ़ाया ही नहीं, जिसकी कक्षा का रिजल्ट 80% है ऐसे ऐसे नाम लिस्ट में है। एक शिक्षक का नाम तो दो बार लिख दिया गया। मजेदार बात यह है कि जिस स्कूल का रिजल्ट 0% रहा उसकी एक भी शिक्षक का नाम लिस्ट में नहीं है।
जाओ, पहले उसकी परीक्षा लेकर आओ जिसने यह लिस्ट बनाई
इस वर्ष सत्ता परिवर्तन के बाद उम्मीद की जा रही थी कि अब व्यवस्थाओं में कुछ सुधार आएगा और समाज में शिक्षकों को परीक्षा के नाम पर बदनाम करने वाली नीति में अंकुश लगेगा। लेकिन दक्षता आकलन परीक्षा का जिन्न एक बार फिर वैसी ही विसंगतियों से परिपूर्ण होकर शिक्षकों के सामने खड़ा है। प्रथम समस्या यह है कि जब शिक्षक दक्षता आकलन परीक्षा के लिए जो निर्धारित मापदंड है उसके अनुसार जब अधिकारी सूची तैयार नहीं कर पा रहे हैं तो ऐसी त्रुटि पूर्ण सूची के साथ दक्षता आकलन परीक्षा लेना कहां तक उचित है।
रिजल्ट 50% से ज्यादा फिर भी शिक्षकों का नाम दक्षता परीक्षा की सूची में
इसी के साथ पूरी परीक्षा की विश्वसनीयता और मूल्यांकन कार्य पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है। दूसरी तकलीफ यह है कि शिक्षकों के किसी भी अभ्यावेदन पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। बानगी के तौर पर शिक्षकों की समस्या देखी जाए तो आदर्श उच्चतर विद्यालय नैनपुर में दसवीं की परीक्षा परिणाम 53% और 12वीं का परीक्षा परिणाम 59% रहा, लेकिन इसी परिसर के माध्यमिक शाला के शिक्षकों का नाम परीक्षा सूची में शामिल किया गया है।
जो शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर था, वो रिजल्ट के लिए जिम्मेदार कैसे हो गया
जबकि इस माध्यमिक शाला में 2 शिक्षक मनोज ठाकुर और कृष्ण कुमार उपाध्याय दो महीने पूर्व ही माध्यमिक शाला में पदस्थ किए गए हैं, जिसमें शिक्षक मनोज ठाकुर पिछले 4 वर्ष से कार्यालय अनुविभागीय दंडाधिकारी नैनपुर में संलग्न थे तथा कृष्ण कुमार उपाध्याय चिरईडोंगरी में जन शिक्षक का कार्य कर रहे थे। एक शिक्षक राजू तेकाम पिछले वर्ष ही उस विद्यालय में पदस्थ होने के साथ ही छात्रावास अधीक्षक के रूप में नियुक्त कर दिए गए थे। तीनों शिक्षक किसी भी प्रकार 10वीं में कम परीक्षा परिणाम के लिए किसी भी तरह उत्तरदायी नहीं हैं, ना ही उनके क्षेत्र के हाईस्कूल का परीक्षा परिणाम खराब रहा। फिर परीक्षा सूची में इनका नाम शामिल होना समझ से परे है।
कक्षा 9वीं और 11वीं वाले शिक्षक को 10वीं की रिजल्ट का जिम्मेदार बता दिया
कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल नैनपुर में स्थानांतरण से गत वर्ष पदस्थ शिक्षक कृपाल इब्राहिम कक्षा 9वी और 11वीं में अध्यापन कराया लेकिन उन्हें सामाजिक विज्ञान विषय के खराब परीक्षा परिणाम के लिए दोषी मानते हुए उनका नाम परीक्षा सूची में शामिल किया गया है। जबकि इस विद्यालय की दसवीं में खराब परीक्षा परिणाम के लिए वे किसी भी तरह उत्तरदायी नहीं है।
परीक्षा परिणाम 51% रहा, लेकिन दक्षता आकलन परीक्षा में नाम आ गया
इसी विद्यालय के शिक्षक राकेश ठाकुर कक्षा दसवीं के अ सेक्शन में गणित का अध्यापन कार्य कराया जिस का परीक्षा परिणाम 51% रहा, लेकिन उनका नाम भी दक्षता आकलन परीक्षा में शामिल किया गया।
एक शिक्षक का नाम तो दक्षता परीक्षा लिस्ट में 2 बार आ गया
इसी तरह नैनपुर के माध्यमिक शाला खेरमाई में पिछले वर्ष स्थानांतरण से पदस्थ शिक्षक जगदीश ठाकुर का नाम गणित और समाजिक विज्ञान दोनों विषयों की दक्षता आकलन परीक्षा के लिए शामिल किया गया है, जबकि इस वर्ष के दसवीं के परीक्षा परिणाम के लिए वह किसी भी प्रकार जिम्मेदार नहीं हैं और वे एक साथ एक ही समय में गणित और समाजिक विज्ञान की दक्षता आंकलन परीक्षा में कैसे शामिल हो सकते हैं।
अनुपमा तिवारी ने गणित पढ़ाया था, सामाजिक विज्ञान के लिए लिस्ट में नाम डाल दिया
माध्यमिक शाला खेरमाई में ही पदस्थ शिक्षिका अनुपमा तिवारी वैसे तो कला संकाय से पदस्थ हैं, लेकिन माध्यमिक शाला में विषय शिक्षकों के अभाव में पिछले 15 वर्षों से गणित पढ़ा कर रही हैं और पिछले वर्ष गणित विषय के शिक्षक आने के बाद हिंदी और संस्कृत का अध्ययन करा रही हैं। ऐसे में उन्हें भी दसवीं के खराब परीक्षा परिणाम के लिए दोषी मानते हुए सामाजिक विज्ञान विषय की परीक्षा देने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
80% छात्र पास फिर भी दुलीचंद अर्जुनवार को परीक्षा देनी होगी
हाई स्कूल झुलपुर में एकमात्र शिक्षक दुलीचंद अर्जुनवार पदस्थ हैं। वहां का दसवीं का वार्षिक परीक्षा परिणाम 33% और पूरक परीक्षा परिणाम सहित 46% होने के बाद भी माध्यमिक शाला झुलपुर के एकमात्र शिक्षक प्रेम लाल उइके का नाम परीक्षा सूची में शामिल किया गया है, जिसके स्कूल के लगभग 80% छात्र दसवीं की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। जबकि हाईस्कूल झुलपुर की एक अन्य पोषक माध्यमिक शाला तिंदुआ बम्हनी शिक्षक विहीन है।
नैनपुर में कॉमर्स का परीक्षा परिणाम 0% फिर भी किसी टीचर का नाम नहीं
ऐसे ही आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नैनपुर में कक्षा बारहवीं में कॉमर्स विषय का परीक्षा परिणाम 0% होने के बाद भी किसी विषय शिक्षक का नाम परीक्षा सूची में शामिल नहीं किया गया है।
यह तो सिर्फ कुछ उदाहरण है। शिक्षकों की दक्षता आकलन परीक्षा की सूची ऐसी अनेक विसंगतियों से भरी पड़ी है। ट्राईबल वेलफेयर एसोसिएशन इस दक्षता आंकलन परीक्षा का घोर विरोध करते हुए शासन प्रशासन से विसंगतिपूर्ण परीक्षा सूची जारी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करता है, साथ ही खराब परीक्षा परिणाम के लिए शिक्षकों की कमी और शासन की नीतियों को जिम्मेदार मानते हुए भविष्य में ऐसी परीक्षाओं को निरस्त करने की मांग करता है।
उक्त विसंगतियों को देखते हुए ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन ने माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका भी दायर की है जिस पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को नोटिस जारी किया है और कहां है की यदि परीक्षा के आधार पर किसी भी शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही होती है तो शिक्षक न्यायालय की शरण ले सकते हैं।