ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में नगर निगम के दफ्तर से भवन अनुमति की चार फाइलें चोरी करने के मामले में घूसखोर सिटी प्लानर सहित तीन अधिकारियों व दो कर्मचारियों के खिलाफ यूनिवर्सिटी थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इन फाइलों के नगर निगम दफ्तर से गायब होने का पता तब चला जब लोकायुक्त ने जांच के लिए निगम कमिश्नर से फाइलें मांगी थीं।
तत्कालीन नगर निगम आयुक्त संदीप माकिन के पत्र पर यह मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में सोमवार को अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव को लोकायुक्त के सामने चारों फाइलों की जानकारी के साथ पेश होना है, इसलिए दो दिन पहले फाइलें चोरी जाने का मामला दर्ज कराया है। दो माह पहले ईओडब्ल्यू की टीम ने बिल्डर धर्मेंद्र भारद्वाज से पांच लाख की रिश्वत लेते हुए सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा को रंगे हाथों पकड़ा था। घूसखोर प्रदीप वर्मा के रिश्वत लेते पकड़े जाने से पहले ही लोकायुक्त में आरोपित के भ्रष्टाचार की शिकायतें हुई थीं।
लोकायुक्त द्वारा भवन निर्माण की अनुमति संबंधी शिकायतों में निगमायुक्त को पत्र लिखकर पड़ताल के लिए बिरला हास्पिटल, सुरेश नगर के पीछे बनी मल्टी, होटल लैंडमार्क, सालासर मॉल के निर्माण संबंधी फाइलें मांगी थीं। नगर निगम अधिकारी इन फाइलों को उपलब्ध कराने में आनाकानी कर रहे थे। जांच में पता चला कि नगर निगम के दफ्तर से चारों फाइल गायब हैं। लोकायुक्त के इन चारों फाइलों को मांगने पर तलाश शुरू हुई। भवन अनुमति शाखा से यह चारों फाइल गायब मिलीं। तत्कालीन नगर निगम आयुक्त ने फाइलें चोरी होने की जिम्मेदारी तय करने के लिए अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव को कहा था। जांच प्रतिवेदन के बाद तत्कालीन नगर निगम आयुक्त ने दफ्तर से फाइलें चोरी जाने का मामला दर्ज कराने के निर्देश दिए थे।
प्रदीप वर्मा सहित पांच नामजदः शनिवार की दोपहर महेंद्र अग्रवाल नगर निगम दफ्तर से 17 जुलाई 2019 को चारों फाइलें चोरी जाने का पत्र लेकर यूनिवर्सिटी थाने पहुंचे। इस पत्र पर पुलिस ने निलंबित सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा, उपयंत्री वेद प्रकाश निरंजन, राजीव, समयपाल सुरेंद्र सिंह कुशवाह व भवन शाखा के लिपिक सतीश चंद्र गोयल के खिलाफ फाइलें चोरी का मामला धारा 380 के तहत दर्ज कर लिया है।।