ग्वालियर। एक तरफ मध्यप्रदेश में निष्कलंक सेवाएं देकर रिटायर होने वाले कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिल पा रही है और दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के पूर्व डायरेक्टर डॉ विनोद गुप्ता के खिलाफ घोटाले की जांच पेंडिंग होने के बावजूद पेंशन जारी कर दी गई। मामले का खुलासा हुआ तो ग्वालियर से लेकर भोपाल तक सभी अधिकारी इसकी जिम्मेदारी किसी दूसरे पर डाल रहे हैं।
डॉ गुप्ता ने डॉक्टर सक्सेना को 1 दिन का प्रभारी बनाकर NOC जारी करवा ली
गौरलतब है कि स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान एवं सचार के डायरेक्टर डा.विनोद गुप्ता ने एक दिन का अवकाश लेकर डा.नीलत सक्सेना का प्रभारी बनाया और विभाग को अंधेरे में रखकर उनसे एनओसी जारी करा ली। उस एनओसी के आधार पर पैंशन व अन्य फंड लेने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए थे। जब यह मामला पकड़ में आया तो पैंशन अधिकारी प्रवीन शर्मा ने इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव से कर दी।
डॉ विनोद गुप्ता पर क्या आरोप लगाया गया है
स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि डा.विनोद गुप्ता 2014 से 2017 के बीच छतरपुर के CMHO रहे। इस दौरान उनके अधीन आने वालीं स्वास्थ्य इकाईयों पर जो सामान व औषधी CMHO स्टोर से भेजी गई। मगर 2018 में हुए ऑडिट में यह सामने आया कि जो सामान इस बीच भेजा गया वह भेजा तो अधिक मात्रा में गया पर इकाई पर कम पहुंचा। स्टोर व इकाई के व्हाउचर का मिलान करने पर करीब 12 लाख 31038 की गड़बड़ी सामने आई। जिसको लेकर डा.विनोद गुप्ता के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई थी। इसके बाद 17 जनवरी 2019 को विभाग की ओर से डा.विनोद गुप्ता को नोटिस जारी किया और अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर भी दिया था।
डॉ गुप्ता ने कोर्ट में आवेदन लगाया: विभागीय जांच चल रही है तो जांच अधिकारी कौन है
डा.विनोद गुप्ता शासन से एनओसी जारी न होने व पैंशन न मिलने को लेकर प्रकरण को कोर्ट लेकर पहुंचे हैं। डा.विनोद गुप्ता का कहना था कि यदि उनके ऊपर किसी तरह की जांच लंबित थी तो फिर अभी तक उन्हें कोई नोटिस जारी क्यों नहीं किया और कोई जांच अधिकारी नियुक्त क्यों नहीं हुआ। इसलिए शासन अब NOC जारी कर पैंशन दिलाए।