इंदौर। मध्य प्रदेश के सबसे शानदार शहर इंदौर पर किसी की नजर लग गई है। पूरे देश में कोरोनावायरस का संक्रमण लगभग खत्म हो गया है परंतु इंदौर में कम होने का नाम नहीं ले रहा। कोरोनावायरस का फ्रस्ट्रेशन कम नहीं हुआ था कि अब बर्ड फ्लू के खतरे की आहट सुनाई दे रही है। डेली कॉलेज इंदौर में 83 कौए मरे हुए मिले हैं।
इंदौर के कौवों में संक्रमण की पुष्टि
वेटरनरी विभाग के डॉक्टर और नगर निगम की टीम ने मोर्चा संभाल लिया है। जांच के दौरान पाया गया कि कौवों की मौत H5N8 एवियन इन्फ्लूएंजा से हुई है। H5N1 से लेकर H5N5 टाइप तक वाला वायरस घातक बर्ड फ्लू होता है, जो एक पक्षी से दूसरे पक्षी में फैलता है। वर्तमान में जिस वायरस से कौवों की मौत हुई है, वह केवल कौवों तक ही सीमित है। कौवों की मौत का मामला सामने आने के बाद शनिवार को वेटरनरी विभाग के डॉक्टर और निगम की टीम डेली कॉलेज पहुंची। कुछ कौवों की जांच में H5N8 एवियन इन्फ्लूएंजा का वायरस मिला है।
29 दिसंबर से इंदौर में कौवों की लाशें मिल रही हैं
डेली कॉलेज में 29 दिसंबर को पहली बार कुछ कौवे मृत मिले थे। इसकी सूचना मिली तो स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा विभाग के अफसर मौके पर पहुंचे। पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक पीके शर्मा ने बताया कि मृत कौवों के सैंपल जांच के लिए भोपाल स्थित प्रयोगशाला भेजे गए थे। इधर, शुक्रवार को 20 कौवों की मौत के अगले दिन फिर से 13 कौवे मृत मिले।
6 फीट गड्ढा खोदकर दफनाया
वायरस से मृत कौवों को निगम की टीम ने पशु विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में शनिवार सुबह एकांत में दफनाया। यहां मौजूद एक कर्मचारी ने पीपीई कीट पहनाकर पहले मृत कौवों को एकत्रित किया। इसके बाद फिर उन्हें काली पॉलीथिन में भरा। इसके लिए पहले जेसीबी की मदद से 6 फीट का गड्ढा खोदा गया। इसके बाद सभी कौवों को गड्ढे में डालकर ऊपर से चूने की परत बिठाई गई। इसके बाद फिर मिट्टी डालकर उन्हें दबा दिया गया।
जनवरी-फरवरी में फैलती है कोराइजा
पशु चिकित्सक डॉ. देवेंद्र पोरवाल के मुताबिक, बर्ड फ्लू कोराइजा बीमारी का रूप है, जो पक्षियों, मुर्गियों की ऊपरी श्वास नलिका को प्रभावित करती है। इसे एक तरह का निमोनिया भी कह सकते हैं। ये आमतौर पर जनवरी-फरवरी में ही फैलती है। 7-8 साल पहले इसके मामले आने शुरू हुए थे। सबसे ज्यादा सतर्कता पोल्ट्री फॉर्म में बरतना होगी।