इंदौर। भारतीय जनता पार्टी की महिला नेता एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर पर डकैती का आरोप लगाने वाले डिप्टी रेंजर राम सुरेश दुबे खुद विभागीय जांच की जद में आ गए हैं। जिस जमीन पर उन्होंने अवैध उत्खनन बताते हुए जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रॉली जप्त की थी वह जमीन उनके क्षेत्राधिकार (वन विभाग) की नहीं बल्कि राजस्व विभाग की है। प्रशासनिक टीम ने जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी है। उल्लेखनीय है कि पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने वाले डिप्टी रेंजर राम सुरेश दुबे का ट्रांसफर किया जा चुका है।
थोड़ी जमीन प्राइवेट और बाकी राजस्व विभाग की है: जांच रिपोर्ट
मामले में वन मंत्री विजय शाह ने उच्च स्तरीय जांच कराकर पर्यटन मंत्री को क्लीन चिट भी दे दी थी। लेकिन इसे लेकर जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने वाचू पाइंट पर एक बैठक की थी। इसमें वन विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए थे। जानकारी अनुसार ग्राम बशी पीपरी स्थित सर्वे नं. 168, 170, 170/548 के साथ जामनिया कक्ष क्र. 66 की जांच की गई है, जिसमें नायब तहसीलदार ने जिन सर्वे नंबरों का सीमांकन किया, वह जमीन राजस्व भूमि की सीमा के अंदर पाई गई है। सर्वे क्र. 170, रकबा 7.588 हेक्टेयर भूमि पर निजी स्वामित्व भी पाया गया। सर्वे नं. 169, 172, 173, 174 की जमीन भी राजस्व की ही निकली है।
घटनाक्रम का विवरण
ग्राम बड़गोंदा में मनोज पिता अशोक पाटीदार द्वारा 10 जनवरी को रास्ता बनाने के लिए खुदाई की जा रही थी। इस पर डिप्टी रेंजर दुबे ने स्टाफ के साथ जाकर खुदाई रुकवाई। JCB मशीन और ट्रॉली को जब्त कर परिसर में खड़ा करवा दिया था। इस कार्रवाई के दौरान मनोज का स्टाफ से काफी विवाद भी हुआ था। मनोज पाटीदार मंत्री उषा ठाकुर के समर्थक भी हैं। विवाद के दौरान उनका नाम भी आया था। इसके बाद 11 जनवरी को विधानसभा में मंत्री का कार्यक्रम था। इसी में मनोज ने बुलडोजर, ट्रॉली जब्त किए जाने की जानकारी मंत्री को दी थी। अब डिप्टी रेंजर का आरोप का है कि प्रोग्राम खत्म होने के बाद मनोज सहित 20 लोग कैंपस में घुसे। मंत्री भी बाहर ही खड़ी थीं। बुलडोजर और ट्रॉली वह बगैर अनुमति लेकर चले गए। इस पर मंत्री ठाकुर, मनोज, सुनील यादव, अमित जोशी, वीरेंद्र आंजना, सुनील पाटीदार, प्रदीप पाटीदार, सुरेश कुंवर सिंह सहित अन्य के खिलाफ डकैती का केस दर्ज करने का आवेदन दिया था।
डिप्टी रेंजर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई हो सकती है
कलेक्टर के पास आई जांच रिपोर्ट के अनुसार जिस जमीन पर अवैध उत्खनन का आरोप लगाया गया वह जमीन वन विभाग की नहीं है। इसका दूसरा अर्थ यह हुआ कि डिप्टी रेंजर दुबे अनाधिकृत रूप से कार्रवाई करने गए थे। उन्होंने अधिकार ना होने के बावजूद राजस्व विभाग की जमीन से जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर ट्रॉली को जप्त किया। इस प्रकार उन्होंने पद का दुरुपयोग किया। सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत इसके लिए डिप्टी रेंजर दुबे की सेवाएं भी समाप्त की जा सकती है।
नई जांच रिपोर्ट से मनोज पाटीदार दोषमुक्त नहीं होते
नई जांच रिपोर्ट में जमीन वन विभाग की नहीं बल्कि राजस्व विभाग की निकली है। इससे यह तो प्रमाणित हो गया कि उनकी मशीनों और ट्रैक्टर ट्रॉली के खिलाफ जो जब्ती की कार्रवाई की गई थी वह गलत थी परंतु इस जांच रिपोर्ट से मनोज पाटीदार एवं उनके साथी दोषमुक्त प्रमाणित नहीं होते। उन्होंने एक शासकीय परिसर में घुसकर उपद्रव किया एवं जप्त किया गया सामान लूट ले गए। यदि घटना सही है तो डकैती का मामला तो बनता है।