भारत में सरकारी कर्मचारी अपने वरिष्ठ अधिकारी के सभी आदेशों को मानने के लिए बाध्य नहीं होता। यदि अधिकारी नियम विरुद्ध आदेश देता है तो कोई भी दूसरा व्यक्ति, जो यह जानता है कि आदेश नियम विरुद्ध है, कर्मचारी को उसका पालन ना करने के लिए प्रेरित कर सकता है परंतु यदि यही प्रक्रिया भारतीय सेना के सैनिकों के साथ अपनाई गई तो यह आम नागरिक की स्वतंत्रता नहीं बल्कि सेना के अनुशासन को भंग करने का अपराध माना जाएगा। आईपीसी में इस तरह की राजनीति/ साजिश करने वालों को दंडित करने का प्रावधान है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 138 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी आर्मी, नेवी,एयर फोर्स के सैनिकों को उनके सीनियर ऑफिसर के आदेश को न मानने के लिए उकसाएगा या आदेश को टाल-मटोल करने के लिए उकसाएगा तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 138 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 138 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास होता है। सजा- इस अपराध के लिए छह माह की कारावास या जुर्माना या दोनो से दाण्डित किया जा सकता है।
:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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