विधि विरुद्ध जमाव का अपराध क्या है, जानिए - IPC SECTION 142

Bhopal Samachar
भारतीय दंड संहिता का अध्याय 8 लोक शांति के संदर्भ में है। लोग शांति से तात्पर्य आम नागरिकों को उनकी दिनचर्या का पालन करने देना और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखना। यदि कुछ लोगों का जनसमूह (चाहे उनका आपराधिक रिकॉर्ड हो या ना हो) लोग शांति को भंग करने के लिए एकत्रित होते हैं तो इस प्रकार का एकत्रीकरण आईपीसी की धारा 142 के तहत अपराध माना गया है। ऐसे लोगों को पुलिस हिरासत में ले सकती है अथवा गिरफ्तार कर सकती है। यदि कुछ लोग अपनी जान अथवा माल (संपत्ति) की रक्षा के उद्देश्य से एकत्रित हुए हैं तो ऐसे ही विधि विरुद्ध जमाव नहीं माना जाएगा।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 142 की परिभाषा:-

अगर कोई पाँच या पाँच से अधिक व्यक्ति किसी ऐसे स्थान पर है जहाँ कोई लोक शांति भंग हो रही है या कोई अवैध जमाव हो रहा है ऐसे स्थान पर या ऐसे जमाव में कोई व्यक्ति जानबूझकर जाएगा शामिल होगा या सदस्य बनेगा तब वह व्यक्ति धारा 142 के अंतर्गत दोषी होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860  की धारा 142 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

जो कोई व्यक्ति विधि विरुद्ध जमाव में जानबूझकर सदस्य मात्र होगा तब वह धारा 143 के अंतर्गत दाण्डित होगा। यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- इस अपराध के लिए छः माह की कारावास या जुर्माना या दोनो से दाण्डित किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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