यदि किसी जनसमूह का एकत्रीकरण विधि विरुद्ध हुआ है और मजिस्ट्रेट उसे तितर-बितर करने का आदेश देता है तब कई बार पुलिस हल्का बल प्रयोग करती है। इस दौरान यदि जन समूह में शामिल कुछ लोग पुलिस पर जवाबी बल प्रयोग करेंगे तो आईपीसी की धारा 146 के तहत अपराध माना जाएगा लेकिन यदि यही लोग लाठी, पत्थर या किसी भी प्रकार के हथियार का उपयोग करते हैं तो धारा बदल जाएगी। तब भारतीय दंड संहिता की धारा 147 के तहत बलवा का अपराध दर्ज किया जाएगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 148 की परिभाषा:-
अगर कही कोई विधि विरुद्ध जमाव है, सम्मलित व्यक्ति न हटने के लिए बल के साथ कोई भी आयुध प्रकार के हथियारों का प्रयोग करने लगे तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 148 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 148 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग के न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा होती। सजा- इस अपराध के लिए तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दाण्डित किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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