5 या 5 से अधिक लोग यदि विधि विरुद्ध तरीके से एकत्रित हुए हैं तो ऐसे समूह को कानूनी प्रक्रिया के दौरान कई नामों से पुकारा जाता है। यदि उन सभी का आपराधिक रिकॉर्ड है तो ऐसे समूह को गिरोह या गैंग कहा जाएगा। यदि किसी की कोई विशेष पहचान नहीं तो इसे भीड़ कहकर पुकारते हैं। सवाल यह है कि यदि इस प्रकार के विधि विरुद्ध एकत्रीकरण में शामिल कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की हत्या कर दे तो क्या वहां मौजूद सभी लोग हत्या के अपराध के लिए दोषी माने जायेंगे। आइए सरल शब्दों में पढ़ते हैं भारतीय दंड संहिता की धारा 149:-
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 149 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति आपने सामान्य उद्देश्य के लिए आपराधिक आशय से पाँच या पाँच से अधिक व्यक्तियों को विधि विरुद्ध जमाव में सम्मिलित करता है तब उस समय कोई एक व्यक्ति गंभीर अपराध करता है ऐसे में सभी व्यक्ति उस गम्भीर अपराध के दोषी होंगे चाहे उन्होंने वह अपराध नहीं किया हो।
उदाहरण के लिए:- अगर कोई व्यक्ति अवैध आपराधिक उद्देश्य से पाँच से अधिक व्यक्ति को लेकर किसी गरीब का खेत खाली करवाने जाता है, और किसी एक अवैध जमाव के सदस्य के द्वारा किसान की हत्या हो जाए तो यहाँ पर सभी विधि विरुद्ध जमाव के सदस्य धारा 149 के अंतर्गत हत्या के अपराध के दोषी होंगे चाहे उन्होंने अपराध नही किया हो।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 34 एवं धारा 149 में अंतर:-
"दण्ड संहिता की धारा 34 वहाँ लागू होती है जहाँ आरोपी 2 से अधिक हो और उनका उद्देश्य विधि विरूद्ध जमाव न हो केवल आपराधिक उद्देश्य ही हो।
दण्ड संहिता की धारा 149 वहाँ लागू होगी जहां पर पाँच या पाँच से अधिक व्यक्ति किसी विधि विरुद्ध जमाव में आपराधिक उद्देश्य से सम्मलित हुए हो।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 149 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध का दण्ड का प्रावधान वही होगा जो व्यक्ति करता है अर्थात अगर जमाव का कोई सदस्य हत्या करता है तब सभी सदस्य हत्या के अपराध के दण्ड के दोषी होंगे। जैसे- गम्भीर चोट, मारपीट, रिष्टि आदि ऐसा अपराध हो उसी के प्रकार सजा एवं उसी न्यायालय में जहां उक्त धारा के अपराध की सुनवाई होती है मामला जाएगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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