प्रचलन में आ गया है। कुछ लोग अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए अपने समर्थन में भीड़ का प्रदर्शन करते हैं और लोगों को पैसा देकर भीड़ में शामिल कर लेते हैं। कुछ लोग आपराधिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए ऐसा करते हैं। यदि भीड़ कोई अपराध करेगी, तो उस अपराध की प्रकृति अनुसार मामले दर्ज होंगे परंतु यदि सिर्फ इस प्रकार का विधि विरुद्ध जमाव होता है, जबकि वह कोई अपराध नहीं करते तब भी यह अपने आप में एक अपराध है। आईपीसी की धारा 150 इसी के लिए निर्धारित है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 150 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति आपराधिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए विधि विरुद्ध जमाव के लिए किसी व्यक्ति को पैसा देकर भाड़े पर लेगा या कोई झूठा वचन पत्र देगा, या कोई लोभ देगा तब ऐसा करने वाला व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जाएगा।
भारतीय दण्ड़ संहिता, 1860 की धारा 150 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, यह संज्ञेय एवं जमानतीय एवं अजमानतीय दोनो प्रकार के अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई उस न्यायालय में होगी जिस प्रकृति का अपराध करने के लिए व्यक्ति को भाड़े पर लिया है एवं वही सजा एवं जुर्माना होगा जो उस अपराध के लिए निर्धारित किया गया है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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