नई दिल्ली। अपने फायदे के लिए कानून की कमजोरियों का फायदा उठाकर नए रास्ते तलाशने वाले नेताओं के लिए बुरी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मामले में डिसीजन दिया है कि अयोग्य विधायक को किसी भी स्थिति में मंत्री नहीं बनाया जा सकता। उल्लेखनीय है कि भाजपा नेता एएच विश्वनाथ जब अयोग्य घोषित कर दिए गए तो उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाकर मंत्री पद दिया गया था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने दल बदल विरोधी कानून के तहत एएच विश्वनाथ को अयोग्य करार दिया था।
अयोग्य विधायक एएच विश्वनाथ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही नाटक राज्य की बीएस येदियुरप्पा सरकार में एएच विश्वनाथ की मंत्री बनने की उनकी उम्मीदें खत्म हो गईं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि वह एमएलए या एमएलसी के रूप में चुने जाते तो यह मामला दूसरा हो सकता था लेकिन चूंकि उन्हें विधान परिषद में मनोनीत किया गया है ऐसे में उन्हें मंत्री नहीं बनाया जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने हाईकोर्ट के पिछले साल के आदेश के खिलाफ की याचिका खारिज कर दी।
अयोग्य जनप्रतिनिधि को मनोनीत करके मंत्री नहीं बनाया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
AH Vishwanath की ओर से पैरवी कर रहे वकील गोपाल शंकरनारायणन ने अपनी दलीलों में कहा कि यह मसला विधायक की अयोग्यता उस कार्यालय की क्षमता तक सीमित है जहां से उन्हें अयोग्य घोषित किया गया था। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि नेता विधान परिषद के लिए मनोनीत है और जनता के बीच से चुनकर नहीं आता है तो अयोग्यता प्रभावी रहेगी। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यदि आप एमएलए या एमएलसी के रूप में जनता के बीच से चुने जाते हैं तो सरकार में मंत्री के तौर पर रह सकते हैं लेकिन यदि आप मनोनीत हैं तो आप मंत्री नहीं बने रह सकते।