ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच युगल पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि नाबालिग आरोपी को अग्रिम जमानत याचिका प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं है क्योंकि उसे गिरफ्तार करके जेल नहीं भेजा जाता। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत उसे सुधार गृह भेजा जाता है।
हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने नाबालिग आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी थी
एक नाबालिग की ओर से हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। आरोपित की ओर से तर्क दिया गया कि उसे दुष्कर्म के मामले में झूठा फंसाया गया है। उसके खिलाफ अपराध नहीं बनता है। पुलिस उसे गिरफ्तार करना चाहती है। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच से एक नाबालिग को अग्रिम जमानत मिल चुकी है। इसी आधार पर उसे भी अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाए।
हाई कोर्ट ने 40 दिन तक फैसला सुरक्षित रखा
इस याचिका के आने के बाद एकलपीठ ने मामले को बड़ी बेंच में भेजने का निर्णय लिया। मामला चीफ जस्टिस को भेज दिया गया। वहां से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगलपीठ को मामला भेज दिया। 10 दिसंबर 2020 को युगलपीठ में इस मामले की अंतिम बहस हुई थी। नाबालिग की ओर से पैरवी अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह कुशवाह ने की थी। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। 40 दिन बाद इस मामले में हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
नाबालिग आरोपी को अग्रिम जमानत याचिका का अधिकार नहीं: हाई कोर्ट
कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि नाबालिग की अग्रिम जमानत याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। नाबालिग को गिरफ्तार नहीं किया जाता है, उसमें बदलाव के लिए सुधार गृह भेजा जाता है। भारतीय दंड विधान की धारा 226 व 482 के तहत नाबालिग को याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। युगलपीठ ने स्थिति स्पष्ट कर मामले को फिर से एकलपीठ के पास भेज दिया।
नाबालिग के खिलाफ कौन सा मामला दर्ज हुआ है
डबरा के देहात थाने में एक युवती ने सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था। पुलिस ने धर्मेंद्र व अनूप गुर्जर को 30 जुलाई 2020 को गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में एक नाबालिग को भी आरोपित बनाया था। इस नाबालिग पर आरोप था कि वह सह आरोपितों के साथ कट्टा लेकर आता था और युवती को धमकाता था। सह आरोपी युवती के साथ दुष्कर्म करते थे। इस आधार पर नाबालिग को भी एट्रोसिटी एक्ट, दुष्कर्म की धारा में आरोपित बनाया था।