नई दिल्ली। भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा प्रेस को जारी जानकारी के अनुसार आदिवासियों (वनवासियों और कारीगरों दोनों) की आजीविका में सुधार लाने तथा जनजातीय सशक्तीकरण की दिशा में काम करने के लिए अपने मिशन को जारी रखते हुए, जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत ट्राइफेड ने विभिन्न अवसरों का लाभ उठाने और अखिल भारतीय वनवासी कल्याण केंद्र के साथ साझेदारी करने का फैसला किया है।
ट्राइफेड और अखिल भारतीय वनवासी आश्रम के बीच MOU
वनवासी कल्याण केंद्र वर्ष 1952 से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में आदिवासियों के कल्याण के लिए काम कर रहा है। इस संबंध में, मध्य प्रदेश के 5 जिलों में ट्राइफ़ूड पार्क की स्थापना के लिए एक साथ काम करने के तहत 3 जनवरी 2021 को दोनों संगठनों के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) का आदान-प्रदान किया गया। इन समझौता ज्ञापन पर ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण और अखिल भारतीय वनवासी आश्रम के महासचिव श्री योगेश बापत के बीच हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के बैतूल से सांसद श्री दुर्गा दास उइके भी उपस्थित थे।
आदिवासियों के लिए काम करने वाले संगठनों को तलाश रहा है ट्राइफेड
इस अवसर पर बोलते हुए श्री प्रवीर कृष्ण ने कहा कि, ट्राइफेड सक्रिय रूप से समान विचारधारा वाले विभिन्न संगठनों के साथ जुड़कर काम करने की संभावनाएं तलाश रहा है, ताकि आदिवासियों की आजीविका में बढ़ोत्तरी करने के लिए अपने मिशन को जारी रखा जा सके। उन्होंने कहा कि, वनवासी कल्याण आश्रम के साथ जुड़ने से सार्थक कार्य करने के मौके मिलेंगे। इसके अतिरिक्त कृषि, बागवानी, फूलों की खेती, औषधीय तथा सुगंधित पौधों की पैदावार आदि से लेकर कई प्रकार की अन्य आर्थिक गतिविधियों में संलग्न होकर आदिवासियों के लिए साल भर आय होने के अवसर सुनिश्चित होंगे। साथ ही इससे उन्हें लघु वनोपज से आगे बढ़कर काम करने के मौके मिलेंगे।
MOU के बाद आदिवासियों के लिए क्या क्या किया जाएगा
आदिवासी लोगों की आजीविका में वृद्धि करने तथा स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) / वन धन विकास केंद्र (वीडीवीके / वीपीसी / ट्राइफ़ूड पार्क) के माध्यम से वन धन योजना के क्रियान्वयन के उद्देश्य से दोनों संगठन मिलकर विभिन्न पहल करके एक साथ काम करेंगे। संरक्षक संगठन के रूप में ट्राइफेड के साथ यह सहमति बनी है कि, वनवासी कल्याण आश्रम आदिवासी क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों की पहचान करके, प्रशिक्षण का आयोजन, संरचना निर्माण, मशीनरी और उपकरण तथा अन्य सहायता प्रदान करके नए वन धन केंद्र बनाए जाएंगे।
इसके अलावा कई अन्य गतिविधियां भी होंगी, जिनमें कल्याण आश्रम अन्य क्षेत्रों जैसे कि कृषि, बागवानी, फूलों की खेती, मत्स्य पालन, पशुपालन, हथकरघा तथा शिल्प उद्योग से पूरे वर्ष कार्य कराने के लिए प्रयासरत रहेगा और यह वनधन योजना को सर्व-समावेशी और व्यवहार्य बनाने में भी शामिल होगा।