इंदौर। सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि ग्राम पंचायत, राज्य सरकार के अधीन संस्था नहीं है बल्कि वह अपने आप में एक स्वतंत्र निकाय है। राज्य सरकार केवल उसकी मॉनिटरिंग कर सकती है। उसके फैसले नहीं कर सकती फिर भी मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। एक जनहित याचिका प्रस्तुत होने पर इंदौर हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है।
MP पंचायत चुनाव: हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को भी नोटिस भेजा
मध्यप्रदेश में बार-बार स्थगित किए जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने चुनाव आयोग को भी नोटिस भेजा है। हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग एवं मध्यप्रदेश शासन को 15 दिन के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश की अधिकांश पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। महामारी के दौरान सरकार ने विधानसभा उपचुनाव आयोजित करवाए परंतु पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी।
पंचायतों के सभी कार्य ठप पड़े हैं
पंचायतों के विकास कार्य तो ठप पड़े हैं, शहरी क्षेत्र से जुड़ी पंचायतों में टाउनशिप, बिल्डिंग आदि की अनुमति पिछली तारीखों में भी दिए जाने का काम किया जा रहा है। याचिकाकर्ता तोलाराम की ओर से अधिवक्ता प्रतीक माहेश्वरी ने यह याचिका दायर की है। इसमें उल्लेख किया है कि पंचायतों की व्यवस्था ठप सी हो गई है जबकि आयोग कह चुका है कि चुनाव कराने की उसकी तैयारी पूरी है।