जबलपुर। यदि किसी कर्मचारी समूह की नियुक्ति प्रक्रिया समान रही हो तो इसका मतलब यह नहीं कि उसकी सेवानिवृत्ति की प्रक्रिया एवं आयु भी समान रहेगी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल धगट ने मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के एक कर्मचारी की याचिका खारिज कर दी। उन्होंने टिप्पणी की कि 'किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की आयु तय करने मात्र को कर्मचारी का वर्गीकरण किए जाने की परिधि में रखना बेमानी है।'
राजधानी भोपाल के गोविंदपुरा निवासी की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि उसकी नियुक्ति पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश विद्युत मंडल में हुई थी। बाद में उसकी सेवाएं पावर ट्रांसमिशन कम्पनी मे विलय कर दी गईं। 20 सितंबर 2014 को जारी आदेश में कहा गया कि 30 जून 2015 को याचिकाकर्ता को 58 साल की आयु में सेवानिवृत्त किया जाएगा।
जबकि उसके समान पदस्थ अन्य समकक्षों को 60 साल में सेवानिवृत्त किया गया। इस आदेश को निरस्त कर याचिकाकर्ता की भी अन्य समकक्षों के समान 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति मानी जाए। अन्य अनुषांगिक लाभ भी दिये जाएं। ट्रांसमिशन कम्पनी व सरकार की ओर याचिका का विरोध किया गया। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी।