भोपाल। प्रदेश में 10वीं, 12वीं में 40 फीसदी से कम परिणाम पर संबंधित विद्यालयों के साथ केचमेंट एरिया में शामिल मावि के लगभग 8000 शिक्षकों की परीक्षा संपन्न हुई। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष श्री प्रमोद तिवारी एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार, सुधीर नेमा, प्रांतीय महामंत्री हरिश बोयत, प्रांतीय सचिव जगमोहन गुप्ता, यशवंत जोशी, विनोद राठौर एवं राकेश पाटीदार ने संयुक्त प्रेस नोट में बताया कि उक्त परीक्षा का उपयोग शिक्षा की गुणवत्ता एवं शिक्षकों की बेहतरी के लिए होना चाहिए।
परीक्षा में असफल होने वाले शिक्षकों के पुख्ता उच्च स्तरीय प्रशिक्षण की व्यवस्था कर वांछित परिणाम प्राप्त करना चाहिए। प्रशिक्षित शिक्षकों का चयन शासन की निर्धारित कठोर प्रतियोगी प्रतियोगी परीक्षाओं में लाखों प्रतियोगियों से आगे निकलकर चयनित हुए है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ मांग करता है कि शिक्षकों की परीक्षा का उपयोग शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ शिक्षकों की बेहतरी के लिए होना चाहिए।
परीक्षा परिणाम के आधार पर शिक्षकों को जलिल, अपमानित व पेट पर लात मारने (बर्खास्तगी) के लिए किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए। गत वर्ष इसी आधार पर प्रदेश के 16 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया था। इनकी बर्खास्तगी इनके चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है। तात्कालिक नियोक्ता व आला अधिकारी, प्रशिक्षण संस्थान के शिक्षक, इनके सेवाकाल में निरीक्षण करने वाले समस्त निरीक्षणकर्ता अधिकारियों के साथ जवाबदार भ्रष्ट आला अधिकारियों को प्रक्रिया के केचमेंट एरिया में शामिल कर कठोर दंडात्मक कार्रवाई के साथ सेवा में है तो इनके वेतन से व सेवानिवृत हो गये हो तो इनकी पेंशन से बर्खास्त शिक्षकों के वेतन-भत्तों की आर्थिक भरपाई प्रावधान होना चाहिए।
कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह इकलौती संपन्न परीक्षा है, जिसके प्रश्न पत्र संबंधित परीक्षार्थी शिक्षकों को नहीं दिये गये। यह विभागीय स्वेच्छाचारिता, आतंक, तानाशाही व शिक्षकों को जलिल, अपमानित करने का कुत्सित प्रयास है। ऐसे निति नियंताओं पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए।