भोपाल। मध्य प्रदेश के 8 करोड नागरिकों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि शराब को लेकर मध्य प्रदेश की राजनीति में इस स्तर का तनाव खड़ा हो जाएगा। गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा लगातार जन जन तक शराब पहुंचाने की वकालत कर रहे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इसके खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है।
बीजेपी में सब को अभिव्यक्ति की आजादी है: डॉ नरोत्तम मिश्रा
भारतीय जनता पार्टी में जो बातें सत्ता और संगठन की बैठकों के भीतर गोपनीय तरीके से होती थी इन दिनों खुलेआम बयान बाजी हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के बयान के बाद गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि वो हमारी राष्ट्रीय नेता उन्होंने कुछ कहा है तो उस पर पार्टी और सरकार विचार करेगी बीजेपी में सबको अभिव्यक्ति की आजादी है। लेकिन अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री को ही लेना है।
गृह मंत्री ने आबकारी आयुक्त का बचाव किया
मध्य प्रदेश के आबकारी आयुक्त राजीव दुबे ने मध्य प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 20% शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने और 5000 की जनसंख्या वाले सभी गांवों में नई शराब की दुकान खोलने के प्रस्ताव कलेक्टरों से मांगे हैं। आबकारी आयुक्त के इस पत्र को लेकर जब बवाल उठा तो उनका बचाव करते हुए डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि नई दुकान खोलना है या नहीं खोलना यह फैसला मुख्यमंत्री करेंगे। जहां तक पत्र की बात है वो एक विभागीय सतत प्रक्रिया है। इस तरह की प्रशासनिक प्रक्रिया हर साल चलती है।
शराब से सरकार को कमाई कम बर्बादी ज्यादा होती है: उमा भारती
शराब के मामले में अर्थव्यवस्था को समझाते हुए उमा भारती ने कहा कि शराब की बिक्री से सरकार को राजस्व की आय कम और शराब के कारण होने वाले अपराधों और नुकसान उसे बचाव के लिए प्रबंधन में खर्चा ज्यादा होता है। उमा भारती ने एक बार फिर दोहराया कि शराब सरकार के लिए फायदे का नहीं बल्कि घाटे का सौदा है। उमा भारती ने यह भी कहा कि सरकार जनता की मां की तरह होती है। कोई मां अपने बच्चों को जहर कैसे दे सकती है।