भोपाल। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा शराब की नई दुकान खोलने के मामले में अकेले पड़ गए हैं। पूरी पार्टी में कोई भी उनके समर्थन में नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनके प्रस्ताव को टाल दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा की धाकड़ महिला नेता उमा भारती का कहना है कि मध्यप्रदेश में शराबबंदी होना चाहिए।
राजस्व का लालच और माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता: उमा भारती
इस मामले में उमा भारती ने एक के बाद एक आठ ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि थोड़े से राजस्व का लालच और शराब माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मांग की कि जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं, वहां शराबबंदी की जाए। उमा भारती ने यह भी कहा कि बिहार में भाजपा की जीत यह साबित करती है कि शराबबंदी के कारण ही महिलाओं ने एकतरफा वोट नीतीश कुमार को दिए।
लॉकडाउन में शराबबंदी सफल रही, जहरीली शराब से कोई मौत नहीं हुई थी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शराब दुकानों की संख्या बढ़ाए जाने को लेकर फैसला न होने के बयान को उमा भारती ने वंदनीय बताया। फिर अगले ट्वीट में कहा-कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय पर लगभग शराबबंदी की स्थिति रही। इससे यह स्पष्ट हो गया कि अन्य कारणों और कोरोना से लोगों की मृत्यु हुई किंतु शराब नहीं पीने से कोई नहीं मरा।
ज्यादातर सड़क हादसों का कारण शराब होती है: उमा भारती
उमा ने आगे कहा-अभी हाल में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई। सड़क दुर्घटनाओं में भी अधिकांश में मामला ड्रायवर का शराब पीना ही होता है। फिर भी राजस्व का लालच और माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता है।
शराब की दुकान खोलना, जनता को जहर पिलाने जैसा: उमा भारती
अगर देखा जाए तो सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराब पिलाने का प्रबंध करती है, जैसे मां की जिम्मेदारी उसके पोषण के साथ उसकी रक्षा की होती है, वही मां अगर बच्चे का जहर पिला दे तो...। सरकारी तंत्र द्वारा शराब दुकानें खोलना ऐसा ही है।
शराब से इतना पैसा नहीं मिलता जितना व्यवस्था में खर्च हो जाता है: उमा भारती
उमा भारती ने कहा कि मैं तो अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस ट्वीट के माध्यम से सार्वजनिक रूप से अपील करती हूं कि जहां जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, उन राज्यों में पूर्ण शराबबंदी की तैयारी करिये। अगले ट्वीट में कहा, शराबबंदी घाटे का सौदा नहीं है। शराबबंदी से राजस्व को हुई क्षति को कहीं से भी पूरा किया जा सकता है किंतु शराब के नशे में दुष्कर्म, हत्याएं, दुर्घटनाएं और छोटी बच्चियों के साथ अमानवीयता की घटनाएं भयावह हैं। यह देश के लिए कलंक भी हैं। कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हजारों करोड़ स्र्पये खर्च करने पड़ते हैं। समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए शराबबंदी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पर बहस शुरू की जा सकती है।
मैं अपनी बात पर कायम हूं, नई दुकानें खुलना चाहिए: डॉ नरोत्तम मिश्रा
प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए मैंने दुकानों की संख्या बढ़ाने की तर्क सम्मत बात सबके सामने रखी है। इस पर अंतिम निर्णय लेने का पूरा अधिकार मुख्यमंत्री जी को है। इस बारे में मतभेद जैसी कोई बात नहीं है।@mohdept @BJP4MP https://t.co/zycV6lpwfG pic.twitter.com/ZH84zvdLGd
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) January 21, 2021