भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कांग्रेस पार्टी में हाईकमान के सबसे नजदीकी कोषाध्यक्ष पद तक पहुंचते-पहुंचते रह गए। दिल्ली से लौटे कमलनाथ ने बयान दिया कि वह मध्यप्रदेश से कहीं नहीं जाएंगे लेकिन दिल्ली से खबर आ रही है कि सोनिया गांधी ने इस मामले में अपना डिसीजन रोक लिया है। काला धन मामले में कमलनाथ का नाम नहीं आया है लेकिन फिर भी हाईकमान चाहता है कि जब तक कमलनाथ को इस मामले में क्लीन चिट नहीं मिल जाती तब तक उन्हें कांग्रेस पार्टी में महत्वपूर्ण पद नहीं दिया जा सकता।
सबकुछ ठीक जा रहा था कि तभी CBDT रिपोर्ट आ गई
कांग्रेस नेतृत्व के विश्वासपात्र अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा के निधन से आई रिक्तता को भरने के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का नाम तेजी से उभरा था। माना जा रहा था कि उन्हें पार्टी के केंद्रीय संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी। निश्चित रूप से नया पद मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष से काफी दमदार था लेकिन केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट सामने आ जाने के कारण पूरी कवायद रोक दी गई। बताया जाता है कि आयकर छापे में बरामद दस्तावेजों में बड़े लेन-देन का जिक्र है और कमल नाथ के करीबी ही इसमें निशाने पर हैं। चुनाव आयोग इस पूरे मामले की निगरानी भी कर रहा है। कांग्रेस हाईकमान को डर है कि इस मामले में कभी भी कमलनाथ का नाम शामिल हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस संगठन की व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी। फिलहाल कमलनाथ केवल एक प्रदेश के अध्यक्ष हैं, यदि नेशनल कांग्रेस कमेटी में कोषाध्यक्ष बना दिया गया तो फिर दाग पूरी कांग्रेस पर लगेगा।
राहुल गांधी भी कमलनाथ को पसंद नहीं करते
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में कई लोग ऐसे हैं जो कमलनाथ को पसंद नहीं करते। राहुल गांधी इस लिस्ट में सबसे बड़ा नाम है। बताने की जरूरत नहीं कि कमलनाथ ने कई बार राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार करने से इंकार कर दिया। उपचुनाव के दौरान भी दोनों के बीच का तनाव सामने आ गया था। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी नहीं चाहते कि कमलनाथ वापस दिल्ली आए।