भोपाल। कांग्रेस पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया की टीम के महत्वपूर्ण सदस्य रहे आदिवासी युवा नेता उमंग सिंघार ने दल बदल के समय कमलनाथ का साथ दिया लेकिन अब कमलनाथ के कैंप में उमंग सिंघार के लिए कोई सीट नहीं बची है। कमलनाथ के पुराने मित्र कांतिलाल भूरिया फिर से पावरफुल हो गए हैं। हालात यह है कि उमंग सिंघार का पोलिटिकल करियर लाइमलाइट तो दूर की बात मेन स्ट्रीम में भी नजर नहीं आ रहा है।
आदिवासी नेताओं की मीटिंग में उमंग सिंघार को नहीं बुलाया!
मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी के सर्वाधिकारी कमलनाथ ने आज राजधानी में आदिवासी नेताओं की मीटिंग को संबोधित किया। इस मीटिंग में कांतिलाल भूरिया सहित सभी प्रमुख आदिवासी नेता मौजूद थे परंतु उमंग सिंघार उपस्थित नहीं थे। समाचार लिखे जाने तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उमंग सिंघार को मीटिंग में बुलाया गया था या नहीं। कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा बताया गया है कि उमंग सिंघार नाराज हैं इसलिए मीटिंग में नहीं आए। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी होगी कि उमंग सिंघार को यदि बुलाया गया था तो सूचना का स्तर और तरीका क्या था।
बड़ा सवाल: उमंग सिंघार का भविष्य क्या होगा
महत्वपूर्ण या नहीं है कि उमंग सिंघार, विक्रांत भूरिया को युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने से नाराज हैं बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि उन्हें मनाने की कोशिश की जाएगी या नहीं। सभी जानते हैं कि कमलनाथ और कांतिलाल भूरिया पुराने दोस्त हैं। वैसे भी कमलनाथ के पास आदिवासी मामलों की राजनीति करने के लिए कई नाम मौजूद है। उमंग सिंघार का महत्व तभी तक था जब तक कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विधायकों सहित कांग्रेस से इस्तीफा देकर कमलनाथ की सरकार नहीं गिराई थी। अब इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि कांग्रेस के पास 90 विधायक हैं या 88।