भोपाल। भले ही किसी भ्रष्ट अधिकारी को आरोप पत्र देने वाली फाइल मुख्यमंत्री के कार्यालय में दबी पड़ी रहे परंतु कुछ मामलों में शिवराज सरकार सुपरफास्ट नजर आती है। मामला भोपाल के गैस पीड़ित मजदूर की मौत का है, परिवार ने आरोप लगाया है कि कोरोना वैक्सीन के कारण उसकी मौत हुई। 9 जनवरी 2021 की सुबह यह खबर मीडिया की सुर्खियों में आई और शाम तक पीपल्स मेडिकल कॉलेज को क्लीन चिट दे दी गई।
मामला क्या है संक्षिप्त में समझिए
भोपाल गैस पीड़ित व्यक्ति दीपक मरावी मजदूरी करता था। पीपल्स मेडिकल कॉलेज द्वारा उस पर कोरोनावायरस के लिए तैयार की गई वैक्सीन का ड्रग ट्रायल किया गया। ट्रायल के 9 दिन बाद दीपक मरावी की मौत हो गई। इस मामले में सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि भोपाल गैस पीड़ित व्यक्ति पर वैक्सीन का ट्रायल क्यों किया गया। दूसरा प्रश्न है कि क्या उसकी मौत वैक्सीन के कारण हुई।
9 जनवरी को जांच समिति का गठन, 9 जनवरी को 9 लाइन की जांच रिपोर्ट पेश
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस गांधी चिकित्सा महाविद्यालय में एक कागज को ड्राफ्ट होने में कई बार 1 सप्ताह से ज्यादा का समय लग जाता है उसी गांधी चिकित्सा महाविद्यालय में जांच के लिए समिति का गठन किया गया, फिर समिति के गठन में संशोधन किया गया और शाम तक समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी। समिति का गठन प्रकाशित/ प्रसारित समाचारों के आधार पर किया गया था परंतु समिति में मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया केवल पीपुल्स मेडिकल कॉलेज को क्लीन चिट देते हुए लिखा कि 'प्रोटोकॉल का पालन किया गया है'।