जबलपुर। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) द्वारा प्रारम्भिक परीक्षा 2019 का प्रकाशित रिजल्ट दिनांक 21/12/2020 की वैधानिकता सहित माध्य प्रदेश सिविल सेवा परीक्षा नियम 2015 के संशोधन दिनांक 17/02/2020 की संवैधानिकता को उच्च न्यायालय जबलपुर मे याचिका क्रमांक 419/2021, 807/2021 एवं 1029/2021 चुनोती दी गई है। उपरोक्त याचिकाए सामाजिक संगठन (अपाक्स) सहित OBC/SC/ST/EWS के अभ्यर्थियो द्वरा दायर की गई है।
उक्त चारों केटेगीरी के आरक्षित अभ्यर्थियो के मेरिट मे अंक अधिक होने के बबजूद भी उन्हे अपनी ही केटीगिरी में समाहित किया गया है। जबकि नियमानुसार अधिक अंक प्राप्त करने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियो को अनारक्षित मे ट्रांसफर करने का प्रावधान है लेकिन पीएससी ने नियमों को दरकिनार करते हुए सभी आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियो को उनकी ही केटेगीरी मे रखा है, जिससे ओबीसी एवं अनारक्षित अचंभित है, ने (40% सामान्य, 27% O.B.C., 20% एस.सी., 16% एस.टी. और 10% EWS) कुल 113% जो संभव ही नही है।
उक्त याचिका की आज प्रारम्भिक सुनवाई 15/01/21 को करते हुए माननीय मुख्य नयायमूर्ति मो. रफीक एवं श्री विजय कुमार शुक्ला की युगल पीठ द्वारा की गई प्रकरण की गंभीरता को देखता हुए कोर्ट द्वारा अतिरिक्त महाधिवक्ता को निर्देशित किया गया कि उक्त संबंध मे शासन से इंस्ट्रक्शन प्राप्त करें। याचिका की सुनवाई टी ब्रेक 1:30 पर की गई। लंच के बाद बैंच उपलब्ध न होने के कारण अन्तरिम राहत जिसमे पी.एस.सी. द्वारा की जा रही मुख्य परीक्षा को स्थगित करने के प्रश्न पर उक्त याचिका क्रमांक 807/21 की पुनः सुनवाई दिनांक 21/01/2021 निर्धारित की है। याचिका कर्ताओ की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक शाह ने पक्ष रखा शासन की ओर से अति महाधिवक्ता पुषपेन्द्र यादव उपस्थित हुए।