जबलपुर। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा में अनुभव के अंक प्राप्त करने के लिए अतिथि विद्वानों द्वारा लगाई गई याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। दरअसल, इन अतिथि विद्वानों ने फॉर्म भरते समय जानकारी नहीं दी थी इसलिए इन्हें अनुभव के अंक नहीं मिली।
एप्लीकेशन फॉर्म में गलत जानकारी की जिम्मेदारी उम्मीदवार की: हाई कोर्ट
चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की डिवीजन बैंच ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं को फाॅर्म भरते समय जानकारी देने के लिए पर्याप्त अवसर दिया गया था, अब उन्हें अतिरिक्त अंक नहीं दिए जा सकते हैं। सागर निवासी विवेक अग्रवाल, कुंवर भरत सिंह और अन्य की ओर से दायर याचिका में बताया गया कि एमपी पीएससी द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसरों के लिए निकाले गए विज्ञापन में कहा गया कि यदि आवेदक ने किसी विश्वविद्यालय या शासकीय महाविद्यालय में बतौर अतिथि शिक्षक सेवाएँ दी हैं, तो उसके लिए अतिरिक्त अंक दिए जाएँगे। याचिका में कहा गया कि आवेदकों ने विश्वविद्यालय और शासकीय महाविद्यालय में बतौर अतिथि शिक्षक सेवाएँ दी थीं, लेकिन फाॅर्म में जानकारी देने से चूक गए, इसलिए उन्हें अतिथि शिक्षक के अनुभव के अतिरिक्त अंक दिए जाएँ।
एप्लीकेशन फॉर्म में सुधार करने का भी अवसर दिया गया था: MPPSC
एमपी पीएससी की ओर से अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने तर्क दिया कि फाॅर्म भरते समय और उसमें सुधार के लिए पर्याप्त अवसर दिया गया था। अब याचिकाकर्ताओं को अतिरिक्त अंक नहीं दिए जा सकते हैं। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने याचिका खारिज कर दी। शासन की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष प्रस्तुत किया।