भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए निर्धारित किए गए पाठ्यक्रम से आपत्ति है। उनका कहना है कि पाठ्यक्रम में से अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम और सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम को नहीं हटाया जाना चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने अपनी आपत्ति के साथ एक चिट्ठी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखिए। सिंह ने पत्र में बताया कि आयोग ने वर्ष 2019 की परीक्षा में इन दोनों अधिनियम को पाठ्यक्रम में शामिल किया था ताकि राज्य की सिविल सेवा में चयनित होकर आने वाले अधिकारियों को इन दोनों प्रमुख कानून का विस्तृत ज्ञान हो। यह दोनों कानून लोक प्रशासन में संवैधानिक संरक्षण के प्रतीक है।
इसके बाद भी मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2021 में आयोजित की जा रही सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम से यह दोनों कानून हटा दिए हैं। प्रदेश में 15.60 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 21.06 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की आबादी है। ऐसे में आयोग द्वारा आयोजित होने वाली प्रारंभिक परीक्षा के पाठ्यक्रम में इन दोनों अधिनियम को शामिल किया जाए।