नई दिल्ली। हरियाणा राज्य के हाई कोर्ट ने 6 ग्राम पंचायतों द्वारा दाखिल की गई एक याचिका का फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार, ग्राम पंचायतों के फैसलों में दखल नहीं दे सकती। पंचायतों के मामले में राज्य सरकार की भूमिका केवल एक निरीक्षक की है। राज्य सरकार ना तो ग्राम पंचायतों का फंड रोक सकती है और ना ही उनके बैंक खातों पर किसी प्रकार की रोक लगा सकती है। पंचायत क्षेत्र में विकास कार्यों का निर्धारण करने के लिए ग्राम पंचायत स्वतंत्र है।
भ्रष्टाचार की जांच के नाम पर पंचायत के बैंक अकाउंट सीज नहीं कर सकती: हाई कोर्ट
फरीदाबाद की छह ग्राम पंचायतों ने याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। पंचायतों का कहना था कि सरकार के इस निर्णय के चलते गांव के विकास कार्य रुक गए हैं और ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हाईकोर्ट ने जब सरकार से जवाब मांगा तो सरकार ने कहा कि लगातार पंचायतों द्वारा पैसे के दुरुपयोग की शिकायतें मिल रही थी। इन मामलों की जांच के लिए ऐसा आदेश जारी किया गया था।
राज्य सरकार पंचायतों के काम में दखल नहीं दे सकती: हाई कोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि पंचायत फंड का दुरुपयोग न करें इसके लिए पहले से व्यवस्था मौजूद है और ऐसे आदेश की जरूरत नहीं है। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार को पंचायतों के काम में दखल देने की जरूरत नहीं है क्योंकि नियम के अनुसार आज भी सरकार बस पंचायतों की निरीक्षक है।
ग्राम पंचायतों के फैसले जिला पंचायत में होंगे, मंत्रालय में नहीं
हाईकोर्ट की फटकार के बाद सरकार की ओर से कहा गया कि पंचायत विकास कार्य के लिए प्रस्ताव डीसी को सौंप सकती हैं। डीसी इस पर विचार करके सात दिन के भीतर निर्णय लेंगे। सरकार के विश्वास दिलाने पर हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार को अपने वादे पर कायम रहना होगा।