भोपाल। शासकीय कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज हुई कार्यवाही के बाद निर्णायक बहस के लिए तैयारियां शुरू हो गई है। सरकार फैसले को टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति वाले आदेश को समाप्त करवाना चाहती थी परंतु सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा नहीं किया बल्कि मुद्दों को फाइनल करने के लिए 1 महीने का टाइम दिया है। इसके बाद मामले में निर्णायक बहस की शुरुआत होगी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र शासन ने प्रकरण पर "यथास्थिति" के कारण लाखों केंद्रीय कर्मियों की पदोन्नति रुक जाने और वरिष्ठ पदों पर अधिकारी उपलब्ध न होने का हवाला देते हुए आवेदन कर ad-hoc पदोन्नति करने के संबंध में मा न्यायालय से पुष्टि चाही थी। केंद्र सरकार ने प्रस्ताव रखा था कि उसे आरक्षण के बगैर वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति करने की अनुमति हो।
सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्गों की ओर से मप्र, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजीव धवन व अन्य ने इसका कड़ा विरोध करते हुए विभिन्न प्रकरणों पर तत्काल निर्णय देने का निवेदन मा पीठ से किया। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र व विभिन्न राज्यों के प्रकरणों के मुद्दे अलग अलग हैं और सभी पर एकसा निर्णय नहीं किया जा सकता।
मा पीठ ने व्यवस्था दी कि वह अपने "यथास्थिति" के आदेश को समाप्त नहीं करेगी न ही कोई अन्य अंतरिम आदेश जारी करेगी। मा पीठ ने यह भी व्यवस्था दी कि सभी राज्यों के अधिवक्ता उनके राज्यों के प्रकरण से संबंधित मुद्दे तय कर महाधिवक्ता को 2 सप्ताह में दें। महाधिवक्ता और राज्यों के अधिवक्ता बैठक कर मुद्दों को अंतिम कर मा न्यायालय को 4 सप्ताह में प्रस्तुत करें। विभिन्न राज्यों के मुद्दों के अनुसार मा न्यायालय सुनवाई कर निपटारे हेतु तारीखें तय करेगी।
मप्र के संबंध में "पदोन्नति में आरक्षण" प्रकरण पर "यथास्थिति" के अंतरिम आदेश के कारण हजारों कर्मी पदोन्नति से वंचित हैं और कई हजार बिना पदोन्नति पाए सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था द्वारा सरकार को कई बार निवेदन के बावजूद न तो सरकार ने अब तक कोई हल निकाला है, न ही कभी मा न्यायालय से प्रकरण के शीघ्र निपटारे हेतु कोई पहल की। नई सरकार से सभी कर्मियों को आशाएं थीं लेकिन मा मुख्यमंत्री जी ने कई आवेदनों के बाद भी संस्था से न तो मिलने का समय दिया, न ही इतने शासकीय तंत्र का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद आज तक मान्यता दिए जाने की कोई कार्यवाही की।