जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 27% ओबीसी आरक्षण के लिए अंतिम सुनवाई की तारीख सुनिश्चित कर दी है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक एवं जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की युगल पीठ ने 17 फरवरी 2020 की तारीख का निर्धारण किया। हाईकोर्ट ने मामले के सभी पक्षकारों को अपने-अपने तर्क लिखित में प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण 27% कर दिया था
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित 14% आरक्षण को बढ़ाकर 27% कर दिया था। इसके खिलाफ जबलपुर निवासी असिता दुबे और अन्य की ओर से याचिकाएं दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी वाले फैसले में स्पष्ट किया है कि जातिगत आधार पर आरक्षण 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। ओबीसी आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% कर दिए जाने से आरक्षण की सीमा 50% को पार कर गई है। इस वजह से सामान्य वर्ग के आवेदकों का हक मारे जाने की स्थिति पैदा हो गई है। कायदे से आरक्षण का प्रतिशत निर्धारित से अधिक नहीं होना चाहिए। ऐसा हुआ है, जो कि अनुचित है। इसलिए इस निर्धारण को चुनौती दी गई। हाई कोर्ट से अपेक्षा है कि अनुचित प्रावधान को निरस्त किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था
सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2020 को महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिए गए 50% से अधिक आरक्षण को निरस्त कर दिया है। वहीं ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन ने याचिका दायर कर 27% ओबीसी आरक्षण का समर्थन किया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी, ब्रहमेन्द्र पाठक, इंटरवीनर की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर पैरवी कर रहे हैं, जबकि राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरूषेन्द्र कौरव उपस्थित हुए।